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Cyber Crime: ASI जैसी वेबसाइट बनाकर निकाली भर्ती, जयपुर में कराई 150 छात्रों की परीक्षा; फर्जीवाड़े में 2 धरे

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sun, 21 Dec 2025 03:21 AM IST
सार

आरोपियों ने एएसआई से मिलती-जुलती एक फर्जी वेबसाइट बनाकर उस पर क्यूरेटर व जूनियर असिस्टेंट की भर्तियों करने का झांसा दिया।
 

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Cyber Crime: A recruitment drive was conducted using a fake website ; two arrested.
Demo - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) में सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह को दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) ने पकड़ा है। आरोपियों ने एएसआई से मिलती-जुलती एक फर्जी वेबसाइट बनाकर उस पर क्यूरेटर व जूनियर असिस्टेंट की भर्तियों करने का झांसा दिया।

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देशभर के नौजवानों ने सरकारी नौकरी की उम्मीद में नौकरी के लिए आवेदन कर दिया। इसके बाद आरोपियों ने इनके से 150 अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट कर बकायदा जयपुर के एक परीक्षा केंद्र में उनका एग्जाम लिया। रिजल्ट आने से पूर्व आरोपियों ने एक-एक अभ्यर्थी को कॉल कर उससे मोटी रकम की डिमांड की। दिल्ली पुलिस को इसकी भनक लगी तो जांच के बाद आरोपियों को दबोचा गया। पहचान मास्टरमाइंड जयपुर, राजस्थान निवासी कुलदीप (30) व वेबसाइट बनाने वाले पीयूष (25) के रूप में हुई है। आरोपी कुलदीप बीकॉम करने के बाद एलएलबी कर रहा है, जबकि पीयूष कंप्यूटर साइंस में बीटेक है।
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आईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त विनीत कुमार ने बताया कि आरोपी किसी से वसूली कर पाते उससे पहले ही पुलिस ने गिरोह का खुलासा कर दिया। आरोपियों के पास से दो फोन, एक लैपटॉप, कई पासबुक, डेस्क टॉप कंप्यूटर, आई पैड और एक टैब बरामद किया है। पुलिस इनसे पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।

यह था ठगी का पूरा मामला...
आईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त विनीत कुमार ने बताया कि उनकी टीम को जानकारी मिली थी कि कुछ लोग एएसआई में नौकरी दिलवाने के नाम पर वसूली करने का प्रयास कर रहे हैं। फौरन एसीपी विजय गहलावत व अन्यों की टीम का गठन किया गया। जांच के दौरान टीम को पता चला कि एएसआई की एक वेबसाइट पर क्यूरेटर की 7 और जूनियर असिस्टेंट की 84 पोस्ट थीं। वेबसाइट को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन बताया गया था।

वेबसाइट पर लोगो, वेबसाइट बनाने में रंगों का इस्तेमाल, ले-आउट, फॉरमेट सब कुछ बिल्कुल असली था। इसी वेबसाइट इन नौकरियों के लिए लिंक दिया गया था। इस लिंक को कॉलेज के ग्रुप, छात्रों के ग्रुप, सोशल मीडिया व दूसरे माध्यम से देशभर में फैलाया गया था। पुलिस ने एएसआई से इसकी पड़ताल की तो ऐसी किसी भी भर्ती प्रक्रिया की बात होने से एएसआई ने मना कर दिया। पड़ताल में वेबसाइट पूरी तरह फर्जी पाई गई। छानबीन के दौरान टीम को पता चला कि देशभर के सैकड़ों अभ्यर्थियों ने सरकारी नौकरी की उम्मीद में आवेदन किया था। पुलिस ने आगे की जांच बढ़ाई।

सरकारी नौकरी की पूरी भर्ती प्रक्रिया का किया पालन
एएसआई की बिल्कुल असली दिखने वाली वेबसाइट बनाने के बाद इनको काफी आवेदन मिले। आरोपियों ने आवेदन में ऐसे 150 अभ्यर्थियों को शॉर्ट लिस्ट किया, जिनकी आर्थिक स्थिति इनको बेहतर लगी। इसके बाद आरोपियों ने सभी को टेस्ट के लिए जयपुर बुला लिया। यहां तक आरोपियों ने अभ्यर्थियों से कोई पैसा नहीं लिया। टेस्ट के लिए ऐसे सेंंटर का चयन किया गया, जहां पर पहले से सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा होती है।

वहां पर बकायदा टेस्ट पेपर तैयार करने के बाद सभी 150 अभ्यर्थियों की परीक्षा ली गई। बाद में रिजल्ट आने की बात की गई। रिजल्ट से पूर्व आरोपियों ने एक-एक अभ्यर्थी को कॉल कर उससे मोटी रकम की डिमांड शुरू की। आरोपियों को लग रहा था कि सरकारी नौकरी के नाम पर सभी मोटी रकम आराम से दे देंगे। आरोपी पैसों की वसूली कर पाते, उससे पहले की पुलिस ने दोनों आरोपी कुलदीप व पीयूष को दबोच लिया। कुलदीप पूरे रैकेट का मास्टर माइंड है। उसने पीयूष से एएसआई की फर्जी वेबसाइट बनवाई थी। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
 

लग्जमबर्ग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर सिविल इंजीनियर से ठग लिए चार लाख, आरोपी गिरफ्तार

अमन विहार थाना पुलिस ने एक सिविल इंजीनियर को लग््जमबर्ग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर करीब चार लाख रुपये की ठगी करने वाले जालसाज को गिरफ्तार किया है। पहचान अब्दुल उर्फ रहीसुद्दीन मलिक के रूप में हुई है। आरोपी पर दिल्ली के अलग-अलग थानों में ठगी, चोट पहुंचाने, दुष्कर्म सहित अन्य मामले दर्ज हैं। 

रोहिणी जिला पुलिस उपायुक्त राजीव रंजन ने बताया कि अमन विहार निवासी मंजर आलम ने अक्तूबर में ठगी की शिकायत की। शिकायत में बताया कि इनका बेटा उमर फारूक सिविल इंजीनियर है। वह अपने बेटे के लिए नौकरी की तलाश कर रहे थे। इस बीच उन्होंने एक वाट्सएप ग्रुप पर विदेश में नौकरी दिलवाने का एक विज्ञापन देखा।

उसपर दिए मोबाइल नंबर पर संपर्क करने पर आरोपी रहीसुद्दीन मलिक ने नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी कर ली। शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और थाना प्रभारी विजय कुमार समारिया के नेतृत्व में पुलिस टीम ने जांच शुरू की। 

पुलिस टीम को तकनीकी जांच के जरिए पता चला कि आरोपी शाहीन बाग में मौजूद है। शुक्रवार को पुलिस ने एक मकान पर दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।

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