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Online Danger: लाइक-शेयर के नाम पर बचपन से खिलवाड़, सोशल मीडिया पर परोसी जा रही बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री

पुरुषोत्तम वर्मा, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sun, 21 Dec 2025 02:00 AM IST
सार

अध्ययनों से पता चलता है कि ऑनलाइन अश्लील सामग्री देखने वालों का ट्रैफिक बढ़ा है, जिसकी बड़ी वजह किशोरों(लड़कों और लड़कियों) का इसे देखना है।

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Online Danger: child abuse material being circulated on social media
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राष्ट्रीय राजधानी में सोशल मीडिया पर बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री परोसी जा रही है और यह बेजा हरकत लोग महज लाइक और शेयर के नाम कर रहे हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल यूनिट फॉर वूमेन एण्ड चिल्ड्रन (एसपीयूडब्ल्यूएसी) ने विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 60 प्राथमिकी इस वर्ष यानी एक जनवरी से लेकर 15 दिसंबर तक दर्ज करवाई हैं। हालांकि इनका देखना (व्यू) और भेजना (शेयर) काफी कम है।

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एसपीयूडब्ल्यूएसी की पुलिस उपायुक्त अंजिता चेप्याला ने बताया कि सात प्राथमिकी रिपीट ऑफेंडर(बार-बार अपराध करने पर) के खिलाफ दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि सभी मामलों मेें जांच चल रही है। एसपीयूडब्ल्यूएसी की सीएसईएएम सेल ऐसे मामलों को देखने के लिए दिल्ली राज्य की नोडल इकाई है और ऑनलाइन बाल शोषण का मुकाबला करने के लिए आई4सी और एनसीएमईसी के साथ मिलकर काम करती है।
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एसपीयूडब्ल्यूएसी के एनसीएमईसी सेल दिल्ली में बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री(सीएसईएएम) का मुकाबला करने के लिए काम कर रही है। एसपीयूडब्ल्यूएसी राष्ट्रीय लापता और शोषित बच्चे केंद्र (एनसीएमईसी ) से भारतीय साइबर अपराध केंद्र (आई4सी) और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टि्रंग पोर्टल (एनसीआरपी) के माध्यम से प्राप्त साइबर टिपलाइन रिपोर्ट(अलर्ट, सीटीआर) को संभालता है।

पीड़ितों की पहचान के लिए प्रशिक्षण
पीड़ितों की पहचान करने(विक्टिम आईडेंटीफिकेशन) के लिए एनसीएमअईसी सेल के पुलिस कर्मियों को आई4सी से ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है, ताकि आरोपी जल्द ही पकड़े जा सकें। पीड़ितों की पहचान के लिए आई4सी के पास बहुत सारे नए टूल्स आए है। इससे ये होगा कि आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट ठीक से दाखिल की जा सकेगी। साथ ही आरोपियों को सजा देने का ग्राफ भी बढ़ेगा।

ऑनलाइन बहकावे के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई
साइबर टिपलाइन रिपोर्ट (जैसे एनसीएमईसी) दिखाती हैं कि बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री, खासकर ऑनलाइन बहकावे और बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसईएम ) के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है, जिससे पता चलता है कि बच्चों को लक्षित करने वाली अश्लील सामग्री का प्रसार बढ़ रहा है, जिसके कारण ऑनलाइन उत्पीड़न और यौन शोषण की रिपोर्टें बढ़ रही हैं ।

ऑनलाइन बहकावे में भारी वृद्धि
एनसीएमईसी की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन बहकावे (जब कोई वयस्क यौन उद्देश्यों के लिए बच्चे से संपर्क करता है) के मामलों में 192% की भारी वृद्धि देखी गई, जिसमें यौन शोषण की सामग्री (सीएसईएम ) और बाल यौन तस्करी से संबंधित रिपोर्टें भी बढ़ी हैं। बाल यौन शोषण सामग्री यह साइबर टिपलाइन पर सबसे बड़ी रिपोर्टिंग श्रेणी बनी हुई है, जिसमें बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री का निर्माण, वितरण और कब्ज़ा शामिल है।

किशोरों में अश्लील सामग्री देखने का चलन
अध्ययनों से पता चलता है कि ऑनलाइन अश्लील सामग्री देखने वालों का ट्रैफिक बढ़ा है, जिसकी बड़ी वजह किशोरों(लड़कों और लड़कियों) का इसे देखना है। यह रिपोर्ट संकेत है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बच्चों को अश्लील सामग्री दिखाने और उनका यौन शोषण करने के प्रयास के मामले बढ़ रहे हैं। प्लेटफॉर्मों द्वारा अपनी रिपोर्टिंग दायित्वों को पूरा करने का परिणाम भी हो सकती हैं, जिससे स्थिति की गंभीरता का पता चल रहा है।

ये कदम उठाए जा सकते हैं
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि तकनीकी कंपनियों के लिए: डिज़ाइन द्वारा सुरक्षा अपनाना, मजबूत एआई -संचालित उपकरण लगाना और सख्त रिपोर्टिंग प्रक्रियाएं अपनाना जरूरी है। इसके अलावा माता-पिता और जनता के लिए बच्चों को ऑनलाइन जोखिमों के बारे में शिक्षित करना, सुरक्षित ब्राउज़िंग की आदतें सिखाना और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करना (भारत में साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in या हेल्पलाइन 1930 पर) जरूरी है।

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