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करोड़ों के घोटाले में लक्ष्मी विलास बैंक के दो पूर्व अधिकारी गिरफ्तार
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 26 Sep 2020 05:27 AM IST
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अंजनी कुमार और प्रदीप कुमार...
- फोटो : अमर उजाला
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आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शुक्रवार को लक्ष्मी विलास बैंक के दो पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इन पर रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के 729 करोड़ रुपयों के घोटाले में शामिल होने का आरोप है। इस मामले में मलविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह नाम के दो आरोपी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। दोनों फिलहाल जेल में बंद है। गिरफ्तार किये गये लोगों में आरएमजी-कॉरपोरेट ग्रुप के पूर्व क्षेत्रीय हेड प्रदीप कुमार (57) और पूर्व असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट अंजनी कुमार वर्मा (48) है। दोनों बैंक अधिकारियों ने गलत तरीके से बैंक के फिक्स डिपोजिट की रकम को पहले गिरफ्तार दोनों लोगों की कंपनियों को लोन दिया था।
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ईओडब्ल्यू के ज्वाइंट सीपी ओपी मिश्रा के मुताबिक, रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के अधिकारी मनप्रीत सिंह ने आर्थिक अपराध शाखा में मलविंद्र मोहन सिंह और शिविंद्र मोहन सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में इनकी कंपनियों आरएचसी होल्डिंग लिमेटेड, रानचेम प्राइवेट लिमिटेड और लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) और उनके डायरेटर्स व कर्मचारियों को भी नामजद करवाया गया था।
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आरोप था कि रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) ने नवंबर 2016 में लक्ष्मी विलास बैंक में 400 करोड़ रुपये फिक्सड डिपोजिट करवाये थे। ये दो एफडी अल्पावधि कार्यकाल के लिये करवाई गई थी, ताकि किसी भी आपात स्थिति या जरूरत के समय इस्तेमाल किया जा सकें। जनवरी 2017 में आरएफएल ने 350 करोड़ और इन एफडी करवाये थे। ये एफडी कंपनी समय पर रिन्यू भी करवा रही थी। लेकिन 31 जुलाई 2017 को कंपनी को लक्ष्मी विलास बैंक की तरफ से आरएफएल को ईमेल के जरिये बैंक स्टेटमेंट प्राप्त हुई।
जांच में पता चला कि बैंक द्वारा एफडी की रकम को करंट अकाउंट में भेजा गया और बाद में उसे निकाल भी लिया गया। आरएफएल को बिना किसी पूर्व सूचना के यह कार्य किया गया था। यह रकम 723 करोड़ से ज्यादा थी। इस रकम पर बैंक ने मोटा पैसा कमाया था। क्योंकि एफडी पर बैंक 4.5 प्रतिशत ब्याज कंपनी को दे रहा था जबकि बैंक ने उसकी रकम पर 10 प्रतिशत तक ब्याज कमाया। इस प्रकार बैंक पर आरएफएल ने करीब 729 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। 23 सितंबर 2019 को ईओडब्ल्यू ने इस संबंध में ठगी का मुकदमा दर्ज किया था।
डीसीपी मोहम्मद अली व एसीपी अमरदीप सहगल के नेतृत्व में इंस्पेक्टर संजीव की टीम मामले की जांच कर रही थी। पुलिस ने शुरुआत में मलविंद्र मोहन सिंह और शिविंद्र मोहन सिंह को गिरफ्तार किया और चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल कर दी थी। दोनों फिलहाल जेल में है। आगे की जांच में लक्ष्मी विलास बैंक के अधिकारियों पर जांच केंद्रित की गई थी। जांच में पता चला कि लक्ष्मी विलास बैंक के अधिकारियों की मंजूरी के यह गबन संभव नहीं था। जांच में सामने आया कि पहले गिरफ्तार किये गये दोनों लोगों की आरएचसी और रेनछम नामक कंपनियों को बैंक ने नियमों की अनदेखी करते हुये लोन दिया था। इन कंपनियों ने लोन की रकम का अपनी देनदारियों के लिये इस्तेमाल किया था।