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ग्रेप-4 पर आधिकारिक बयान: 'दिल्ली एनसीआर में चरण चार लागू नहीं, कुछ प्लेटफार्मों पर गलत अफवाहें'
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: राहुल तिवारी
Updated Tue, 18 Nov 2025 04:32 PM IST
सार
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने स्पष्ट किया कि दिल्ली एनसीआर में जीआरएपी चरण चार लागू नहीं है। कुछ प्लेटफार्म गलत दावे कर रहे थे, जबकि फिलहाल केवल चरण तीन प्रभावी है। लोगों से अपील की गई कि वे सिर्फ आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें।
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- फोटो : AI
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विस्तार
दिल्ली एनसीआर में जीआरएपी चरण चार लागू नहीं हुआ है। इस बारे में मंगलवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने स्पष्ट किया कि कुछ चैनलों और डिजिटल प्लेटफार्मों पर चल रही ऐसी खबरें गलत हैं, जिनमें दावा किया जा रहा था कि प्रदेश में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का सबसे उच्च स्तर लागू कर दिया गया है। आयोग ने लोगों से इस तरह की गलत सूचनाओं को नजरअंदाज करने की अपील की।
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आयोग ने अपने बयान में कहा कि कुछ मीडिया प्लेटफार्म भ्रामक जानकारी प्रसारित कर रहे हैं कि दिल्ली एनसीआर में आपातकालीन श्रेणी वाले प्रतिबंध लागू हो गए हैं, जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि फिलहाल पूरे एनसीआर में केवल जीआरएपी का चरण तीन लागू है। आयोग ने कहा कि वर्तमान में एनसीआर में चरण तीन के ही प्रावधान प्रभावी हैं। जनता और संबंधित संस्थानों को सलाह दी गई है कि वे केवल आयोग द्वारा जारी आधिकारिक अपडेट और प्रेस विज्ञप्तियों पर भरोसा करें।
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जीआरएपी का चरण तीन तब लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंच जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, एयूक्यूआई शून्य से पचास तक अच्छा, इक्यावन से सौ तक संतोषजनक, 101 से 200 तक मध्यम, 201 से 300 तक खराब, 301 से 400 तक बेहद खराब और 401 से 500 तक गंभीर श्रेणी माना जाता है।
चरण तीन में गैर जरूरी निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर रोक, डीजल जनरेटरों के उपयोग पर प्रतिबंध, औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण को और कड़ा करना, तथा सड़कों पर यांत्रिक सफाई और पानी के छिड़काव को बढ़ाना शामिल है। सरकारी एजेंसियां यातायात प्रबंधन को और सख्त कर सकती हैं और कुछ प्रदूषणकारी उद्योगों पर अतिरिक्त रोक भी लगा सकती हैं।
जीआरएपी के चरण चार में, जो आपातकालीन स्तर है, प्रतिबंध और अधिक कड़े हो जाते हैं। इसमें आम तौर पर सभी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक, प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध, स्कूलों और गैर आवश्यक वाणिज्यिक गतिविधियों का बंद होना, और निजी वाहनों पर ऑड ईवन जैसे नियम लगाए जाने की संभावना रहती है।