Delhi: इंजन बदलें, आदतें बदलें... ईवी और सार्वजनिक परिवहन के हथियार से प्रदूषण से जंग
सरकार के साथ पर्यावरण विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि अगर राजधानी की हवा को स्वच्छ करना है तो इंजन और आदतें दोनों बदलनी होगी। दिल्ली में पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियां न सिर्फ धुआं उगलती हैं बल्कि ट्रैफिक जाम के जरिये भी प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देती हैं।
विस्तार
राजधानी की हवा मौजूदा समय में सिर्फ मौसम की खबर नहीं रही, बल्कि हर घर की चिंता बन चुकी है। सुबह की सैर हो या बच्चों का स्कूल जाना, बुजुर्गों की सेहत हो या दफ्तर जाने वालों की रोजमर्रा की जिंदगी...हर जगह हवा की गुणवत्ता सवाल बनकर खड़ी है। इससे निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने दो बड़े हथियार इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति, सार्वजनिक परिवहन का विस्तार चुने हैं।
सरकार के साथ पर्यावरण विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि अगर राजधानी की हवा को स्वच्छ करना है तो इंजन और आदतें दोनों बदलनी होगी। दिल्ली में पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियां न सिर्फ धुआं उगलती हैं बल्कि ट्रैफिक जाम के जरिये भी प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देती हैं। ऐसे में सरकार का फोकस निजी वाहनों की संख्या कम करने और साफ तकनीक को बढ़ावा देने पर है। इसी सोच के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को भविष्य का रास्ता माना गया है। अप्रैल 2025 में प्रदेश सरकार के पर्यावरण विभाग की दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रबंधन उपाय रिपोर्ट आई। इसके अनुसार राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों और सार्वजनिक परिवहन पर जोर दिया जा रहा है।
राजधानी में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का पंजीकरण बढ़ रहा है, लेकिन कुल नए वाहनों में सिर्फ 12 प्रतिशत हिस्सेदारी दिखाती है कि पारंपरिक पेट्रोल और डीजल वाहन अब भी राजधानी की सड़कों पर छाए हैं। इसके बावजूद, 31 मार्च 2025 तक 3,76,000 से अधिक पंजीकृत ईवी वाहन दिल्ली की हवा को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। रेखा गुप्ता सरकार 2026 में नई ईवी नीति लाने जा रही है जिससे प्रदूषण कम होगा।
दिल्ली में 100 में से 20 परिवारों के पास अपनी कार
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) के आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 तक देश के 7.5 फीसदी परिवारों के पास अपनी कार है। 2018 में ये आंकड़ा 6 प्रतिशत का था। ऐसे ही 49.7 फीसदी परिवारों के पास दोपहिया वाहन हैं। 2018 में ये 37.7 फीसदी था। 50.4 फीसदी परिवारों के पास साइकिल है, जबकि 2018 में ये आंकड़ा 52.1 प्रतिशत था। ये बात हुई देश की। राजधानी दिल्ली में हर 100 परिवारों में से 20 के पास कार है। यानी देश के औसत से करीब तीन गुना ज्यादा है।
सार्वजनिक परिवहन को मजबूती : रिपोर्ट के अनुसार, सरकार 2026 तक लगभग 10,925 बसों का बेड़ा तैयार करने की योजना पर काम कर रही है, 8,000 इलेक्ट्रिक बसें होंगी। अभी 6,966 बसें सेवा में हैं। मेट्रो स्टेशनों से लोगों को घर तक पहुंचाने के लिए ई-साइकिल, ई-रिक्शा और ई-ऑटो की सुविधा बढ़ाई जा रही है। बता दें कि दिल्ली को 11000 बसों की जरूरत है।
बस डिपो भी हो रहे हैं इलेक्ट्रिक :
दिल्ली के 71 बस डिपो में से 37 का विद्युतीकरण हो चुका है। शेष डिपो में काम जारी है। रिपोर्ट के अनुसार 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है। अप्रैल 2025 तक दिल्ली में कुल 84.45 लाख चालू वाहनों में से 62.26 लाख पुराने वाहन डी-रजिस्टर किए जा चुके हैं।
जारी किए गए कुल पीयूसीसी
साल 2021 22 23 24 25 (31 मार्च)
संख्या 6040 6746 4978 4769 11.19 और दिसंबर 2025 में 2 लाख पीयूसीसी जारी
क्या कहते हैं लोग?
मैं अपने घर नंद नगरी से 212 बस स्टैंड तक बस से यात्रा कर केंद्रीय सचिवालय में काम पर जाती हूं, लेकिन मुझे बस के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। अब उम्मीद है कि बस का इंतजार खत्म होगा। -पूजा
मैं नेहरू प्लेस में काम करता हूं और घर से रोजाना बस बदलकर नेहरू प्लेस आता हूं। बसों के इंतजार में अक्सर मेरा समय बर्बाद होता। हमारी मांग है कि भाजपा सरकार हमें पर्याप्त बसें मुहैया कराए। - विष्णु
नई ईवी पॉलिसी प्रदूषण को नियंत्रित करेगी। अभी गैर ईवी वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का बड़ा कारक है। सरकार नई नीति केवल आर्थिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली को एक स्वच्छ भविष्य देने के लिए ला रही है। दिल्ली का हर नागरिक जब ईवी अपनाएगा, तभी पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर में सीधी गिरावट आएगी। -रेखा गुप्ता, मुख्यमंत्री, दिल्ली