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International Disabled Day: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से दूर होगी दिव्यांगता रोबोटिंग ट्रेनर बनेगा मददगार

राकेश शर्मा, नई दिल्ली Published by: वीरेंद्र शर्मा Updated Sat, 03 Dec 2022 03:35 AM IST
सार

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और सुचेता कृपलानी अस्पताल में दिव्यांग के लिए जल्द कृत्रिम अंग की सुविधा भी शुरू होगी। अस्पताल के पीएमआर विभाग की प्रमुख डॉ रितु मजूमदार ने बताया कि दिव्यांग बच्चों की पुनर्स्थापना के लिए डॉक्टरों व अन्य की टीम है।

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दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं, महज जीवन की एक चुनौती है। इसे आसान बनाने में अब डॉक्टरों के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हालांकि अभी यह काफी महंगी है, लेकिन आने वाले दिनों में यह लोगों की पहुंच में होगी। इसे सुलभ बनाने के लिए एम्स आईआईटी सहित अन्य तकनीकी संस्थानों संग मिलकर रिसर्च कर रहा है। 
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इस बारे में एम्स के डॉ. संजय वधवा ने बताया कि दिव्यांगों के पुनर्वास के लिए एडवांस उपकरण इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इनमें रोबोट द्वारा संचालित एआई उपकरण हैं, जो मरीज को चलने-फिरने में काफी मदद करते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद लकवाग्रस्त शरीर को फिर से नॉर्मल बनाने में यह काफी सहायक है। हालांकि यह काफी महंगे हैं, लेकिन लोगों तक सुलभ बनाने के लिए इस दिशा में रिसर्च चल रही है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों में खुद को लेकर जागरुकता आ रही है। यही कारण है कि पैरालंपिक खेलों में भारत के खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
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लेडी हार्डिंग में शुरू होगी सुविधा 
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और सुचेता कृपलानी अस्पताल में दिव्यांग के लिए जल्द कृत्रिम अंग की सुविधा भी शुरू होगी। अस्पताल के पीएमआर विभाग की प्रमुख डॉ रितु मजूमदार ने बताया कि दिव्यांग बच्चों के पुनर्स्थापना के लिए डॉक्टरों व अन्य की टीम है। यहां जरूरत के आधार पर मरीज को दवाई के साथ व्यायाम भी करवाया जाता है। इसके अलावा उन्हें सहायक उपकरण भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। जल्द ही कृत्रिम अंग की सुविधा भी शुरू करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। अस्पताल में प्रतिदिन करीब 150 की ओपीडी होती है। इनमें काफी संख्या में दिव्यांग मरीज भी आते हैं।

60 फीसदी की कर सकते हैं रोकथाम 
डॉ. संजय वधवा ने बताया कि दुनिया में 60 फीसदी दिव्यांगता की रोकथाम की जा सकती है। कई प्रकार की दिव्यांगता हमारे लाइफ स्टाइल के कारण आती है, जबकि कई लापरवाही के कारण। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ ही दिव्यांगता आती है, जिसके रोकथाम के लिए यदि समय रहते प्रयास किया जाएं तो समस्याओं को कम किया जा सकता है।
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