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Delhi News: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा पत्र जाली, एसोसिएशन ने बताया फर्जी
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एसोसिएशन ने इसे न्यायपालिका की छवि धूमिल करने और निचली अदालतों की कार्यप्रणाली पर अनुचित हमला करने की सुनियोजित साजिश करार दिया
संवाद न्यूज एजेंसी
नई दिल्ली। दिल्ली न्यायिक सेवा एसोसिएशन ने मंगलवार को स्पष्ट किया है कि उसके नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और व्हाट्सएप समूह पर वायरल हो रहा 5 नवंबर का एक पत्र पूरी तरह जाली, मनगढ़ंत और शरारतपूर्ण तरीके से तैयार किया गया दस्तावेज है। एसोसिएशन ने इसे न्यायपालिका की छवि धूमिल करने और निचली अदालतों की कार्यप्रणाली पर अनुचित हमला करने की सुनियोजित साजिश करार दिया है।
एसोसिएशन की संयुक्त सचिव नीतू नागर द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अज्ञात व्यक्ति ने एसोसिएशन के नाम और प्रतिष्ठा का गैर-कानूनी दुरुपयोग कर इस फर्जी पत्र को झूठी विश्वसनीयता देने की कोशिश की है। बयान में इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा बताया गया है, जो जनता का विश्वास कम करने, वादियों को गुमराह करने और समूची न्याय-प्रणाली को कमजोर करने का प्रयास है। एसोसिएशन ने इस निंदनीय कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए स्पष्ट किया है कि इस तरह का कोई भी पत्र उन्होंने जारी नहीं किया है और यह पूरी तरह फर्जी है। संगठन ने जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है। यह मामला तब सामने आया जब पिछले कुछ दिनों से व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिल्ली न्यायिक सेवा एसोसिएशन के लेटरहेड पर 5 नवंबर 2025 का एक कथित पत्र तेजी से वायरल हो रहा था, जिसमें न्यायिक अधिकारियों से संबंधित कुछ विवादास्पद दावे किए गए थे। दिल्ली न्यायिक सेवा एसोसिएशन ने सभी न्यायिक अधिकारियों, वकीलों और आम जनता से अपील की है कि इस तरह की फर्जी खबरों पर विश्वास न करें और किसी भी संदिग्ध दस्तावेज की सत्यता की जांच एसोसिएशन के आधिकारिक माध्यमों से करें।
डीएसएलएसए ने भी किया खंडन
दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (डीएसएलएसए) ने स्पष्ट किया है कि डीएचजेएस एसोसिएशन नाम से दिल्ली उच्च न्यायालय को हाल ही में भेजी गई कोई भी शिकायत पूरी तरह झूठी, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण है। एसोसिएशन ने बताया कि डीएचजेएस एसोसिएशन नाम से दिल्ली में कोई पंजीकृत या मान्यता प्राप्त संगठन अस्तित्व में ही नहीं है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
नई दिल्ली। दिल्ली न्यायिक सेवा एसोसिएशन ने मंगलवार को स्पष्ट किया है कि उसके नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और व्हाट्सएप समूह पर वायरल हो रहा 5 नवंबर का एक पत्र पूरी तरह जाली, मनगढ़ंत और शरारतपूर्ण तरीके से तैयार किया गया दस्तावेज है। एसोसिएशन ने इसे न्यायपालिका की छवि धूमिल करने और निचली अदालतों की कार्यप्रणाली पर अनुचित हमला करने की सुनियोजित साजिश करार दिया है।
एसोसिएशन की संयुक्त सचिव नीतू नागर द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अज्ञात व्यक्ति ने एसोसिएशन के नाम और प्रतिष्ठा का गैर-कानूनी दुरुपयोग कर इस फर्जी पत्र को झूठी विश्वसनीयता देने की कोशिश की है। बयान में इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा बताया गया है, जो जनता का विश्वास कम करने, वादियों को गुमराह करने और समूची न्याय-प्रणाली को कमजोर करने का प्रयास है। एसोसिएशन ने इस निंदनीय कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए स्पष्ट किया है कि इस तरह का कोई भी पत्र उन्होंने जारी नहीं किया है और यह पूरी तरह फर्जी है। संगठन ने जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है। यह मामला तब सामने आया जब पिछले कुछ दिनों से व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिल्ली न्यायिक सेवा एसोसिएशन के लेटरहेड पर 5 नवंबर 2025 का एक कथित पत्र तेजी से वायरल हो रहा था, जिसमें न्यायिक अधिकारियों से संबंधित कुछ विवादास्पद दावे किए गए थे। दिल्ली न्यायिक सेवा एसोसिएशन ने सभी न्यायिक अधिकारियों, वकीलों और आम जनता से अपील की है कि इस तरह की फर्जी खबरों पर विश्वास न करें और किसी भी संदिग्ध दस्तावेज की सत्यता की जांच एसोसिएशन के आधिकारिक माध्यमों से करें।
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डीएसएलएसए ने भी किया खंडन
दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (डीएसएलएसए) ने स्पष्ट किया है कि डीएचजेएस एसोसिएशन नाम से दिल्ली उच्च न्यायालय को हाल ही में भेजी गई कोई भी शिकायत पूरी तरह झूठी, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण है। एसोसिएशन ने बताया कि डीएचजेएस एसोसिएशन नाम से दिल्ली में कोई पंजीकृत या मान्यता प्राप्त संगठन अस्तित्व में ही नहीं है।