NEET UG: यूपी के सरकारी स्कूल की 25 में से 12 छात्राओं को मिली नीट में सफलता, लहराया परचम
NEET UG: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थित एक सरकारी आवासीय विद्यालय की 12 दलित और ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली छात्राओं ने नीट यूजी परीक्षा पास की है। इस घटना ने सबका ध्यान खींचा है।
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NEET UG: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के सुदूर मड़िहान क्षेत्र में स्थित एक सरकारी आवासीय विद्यालय की 12 दलित और ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली छात्राओं ने NEET-UG परीक्षा पास कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस उपलब्धि को क्षेत्र में प्रगति की दिशा में एक "मील का पत्थर" माना जा रहा है।
सफल छात्राओं की सूची में शामिल हैं - श्वेता पाल, कुमारी पूजा रंजन, प्रिंसी, मालती, कोमल कुमारी, लक्ष्मी, अनुराधा, कोमल, लक्ष्मी (दूसरी), सभ्या प्रजापति, दीप्ति गुप्ता और पूजा सोनकर। ये सभी छात्राएं अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों से आती हैं।
सरकारी जानकारी के अनुसार, मड़िहान के सरवोदय विद्यालय से कुल 25 छात्राओं ने परीक्षा दी थी, जिसके परिणाम 14 जून को घोषित हुए। इनमें से 12 छात्राएं परीक्षा पास करने में सफल रहीं।
उत्साहित श्वेता पाल ने कहा, “हमारे शिक्षकों और वार्डन ने पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित रखने में पूरी मदद की। हमारे रसायन शास्त्र के शिक्षक अरविंद सर और जीवविज्ञान के शिक्षक सुधीर सर हमेशा मार्गदर्शन के लिए उपलब्ध रहते थे। जब भी मन हल्का करना होता था, स्कूल में इनडोर और आउटडोर गेम्स की सुविधा थी।”
श्वेता के पिता हीरालाल ने भी स्कूल की सुविधाओं की सराहना करते हुए कहा, “स्कूल और हॉस्टल की व्यवस्था बहुत अच्छी थी। शिक्षक बहुत सहयोगी और उत्साहवर्धक रहे।”
रोज़ाना 16 से 18 घंटे तक पढ़ाई करती थी पूजी रंजन
एक अन्य सफल छात्रा पूजा रंजन के पिता रमेश रंजन ने बताया, “पूजा पहली बार में ही परीक्षा पास कर बेहद खुश है। वह पहले सोनभद्र के सरवोदय विद्यालय में पढ़ती थी और कक्षा 11 और 12 के लिए मड़िहान आई थी। उसने यूपी बोर्ड की परीक्षा में 81% अंक हासिल किए। वह रोज़ाना 16 से 18 घंटे तक पढ़ाई करती थी - 6 घंटे स्कूल, 5 घंटे कोचिंग और 6-7 घंटे सेल्फ स्टडी।”
इस सफलता से राज्य सरकार भी प्रभावित
उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने छात्राओं को बधाई देते हुए इसे “शानदार सफलता” बताया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, “कुछ वर्षों में ये बच्चियां डॉक्टर बनकर लोगों की जान बचाएंगी और उन्हें स्वस्थ रखेंगी। हम सुनिश्चित करेंगे कि इनकी छात्रवृत्ति में कोई बाधा न आए।”
जिला अधिकारी प्रियंका निरंजन ने कहा, “यह क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। मड़िहान का सरवोदय विद्यालय सरकारी स्कूलों के लिए एक आदर्श मॉडल बन चुका है। यह एक आवासीय विद्यालय है, जहां छात्राएं दो साल या उससे अधिक समय से पढ़ रही हैं। उन्हें नियमित पढ़ाई के साथ-साथ नीट और जेईई की कोचिंग भी दी गई। यहां रहने, खाने और पढ़ाई की सारी व्यवस्था नि:शुल्क थी।”
जिला समाज कल्याण अधिकारी त्रिनेत्र सिंह ने जानकारी दी कि, “मड़िहान का सरवोदय विद्यालय एक ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित किया गया है। मैं और समाज कल्याण उपनिदेशक लगातार छात्राओं की कोचिंग और व्यक्तित्व विकास पर निगरानी रखते थे। हमने उन्हें किताबें, कोचिंग, भोजन और खेलकूद की सभी सुविधाएं मुहैया कराईं।”
25 में से 12 छात्राओं को मिली सफलता
समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने बताया, मड़िहान के इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को वाराणसी स्थित एक्स-नवोदयन फाउंडेशन और टाटा एआईजी के सहयोग से चलाया जा रहा है। कुल 39 छात्राओं को यहां नीट और जेईई की नि:शुल्क कोचिंग दी गई, जिनमें से 26 ने नीट के लिए रजिस्ट्रेशन कराया, 25 ने परीक्षा दी और 12 सफल हुईं।
फिलहाल, राज्य में करीब 100 सरवोदय विद्यालय चलाए जा रहे हैं, जो कक्षा 6 से 12 तक के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए आवासीय सुविधा के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग नि:शुल्क प्रदान करते हैं। इन संस्थानों का उद्देश्य वंचित समुदायों के बच्चों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है।