Himachal: छात्रों के स्कूल में फोन लाने पर पूरी तरह रोक! शिक्षकों को स्टाफ रूम में रखने की छूट: सीएम का एलान
Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने बताया कि नए शैक्षणिक सत्र से प्री-नर्सरी से कक्षा 12 तक के छात्रों के लिए स्कूल में मोबाइल फोन लाना पूरी तरह मना होगा।
विस्तार
Mobile Phone Ban: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने शनिवार को घोषणा की कि आगामी शैक्षणिक सत्र से प्री-नर्सरी से लेकर कक्षा बारहवीं तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल परिसर में मोबाइल फोन ले जाना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि, शिक्षकों को अपने मोबाइल फोन स्टाफ रूम या अपने बैग में रखने की अनुमति होगी।"
मुख्यमंत्री ने समग्र शिक्षा निदेशालय में अत्याधुनिक सुविधाओं का उद्घाटन किया, जिनमें विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके), शिक्षा गैलरी, कार्यक्रम प्रबंधन स्टूडियो, सम्मेलन क्षेत्र, नया सम्मेलन कक्ष और आधुनिक केंद्रीय ताप प्रणाली शामिल हैं।
सुक्खु ने डिजिटल सुधारों और शिक्षा गुणवत्ता पर दिया जोर
इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये उन्नत सुविधाएं न केवल प्रशासनिक और शैक्षणिक दक्षता बढ़ाएंगी बल्कि हिमाचल प्रदेश में डिजिटल शिक्षा प्रशासन के एक नए युग की शुरुआत भी करेंगी।
उन्होंने कहा, "यह पहल वर्तमान राज्य सरकार के दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाती है और शिक्षा को समग्र विकास के केंद्र में रखेगी।"
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पिछले तीन वर्षों में राज्य सरकार ने शिक्षा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और कई निर्णायक सुधार लागू किए हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा गुणवत्ता मूल्यांकन में अपनी रैंकिंग को 21वें स्थान से 5वें स्थान पर लाकर राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति की है।
हिमाचल में डिजिटल पहल से शिक्षा में सुधार
उन्होंने आगे कहा कि विद्या समीक्षा केंद्र इस परिवर्तनकारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
उन्होंने कहा, "हिमाचल एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाने वाले अग्रणी राज्यों में से एक बनकर उभरा है, जो शिक्षण, अधिगम परिणामों, छात्र मूल्यांकन, उपस्थिति, संसाधन प्रबंधन और विद्यालय प्रशासन से संबंधित वास्तविक समय के आंकड़े उपलब्ध कराता है। 'अभ्यास हिमाचल', भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी आधारित स्मार्ट उपस्थिति प्रणाली और 'निपुण प्रगति' जैसी नवोन्मेषी पहल बच्चों के अधिगम स्तरों का वैज्ञानिक विश्लेषण सुनिश्चित कर रही हैं।"