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Education: उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर बिल को कैबिनेट की मंजूरी, अगले हफ्ते संसद में पेश होने की संभावना

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: शाहीन परवीन Updated Sun, 14 Dec 2025 09:14 AM IST
सार

Higher Education: केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक सिंगल रेगुलेटर बनाने वाले बिल को मंज़ूरी दे दी है। इस बिल का उद्देश्य विश्वविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता देना और शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना है।

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Bill to set up single higher education regulator likely to be introduced in Parliament next week
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : freepik
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विस्तार
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Single Regulator: सरकार ने उच्च शिक्षा से जुड़े संस्थानों (जैसे विश्वविद्यालय और कॉलेज) के लिए एक ही नियामक संस्था (सिंगल रेगुलेटर) बनाने का फैसला किया है। इसके लिए एक बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किए जाने की संभावना है, जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी है।

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उन्होंने बताया कि इस बिल का मकसद विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र और स्व-शासित बनाना है।

एक ही नियामक से मिलेगी संस्थानों को अधिक स्वायत्तता

प्रस्तावित कानून, जिसे पहले हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) बिल कहा जाता था, अब उसका नाम बदलकर विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल कर दिया गया है।

 

एक सिंगल उच्च शिक्षा रेगुलेटर, जिसका प्रस्ताव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में दिया गया था, वह यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC), ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE), और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की जगह लेगा।

 

एक अधिकारी ने कहा, "यह बिल विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र और स्व-शासित संस्थान बनाने और एक मज़बूत और पारदर्शी मान्यता और स्वायत्तता प्रणाली के माध्यम से उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ़ इंडिया स्थापित करने का प्रस्ताव करता है। इसे अगले हफ़्ते (संसद में) पेश किए जाने की संभावना है।"

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UGC, AICTE और NCTE की जगह एक सिंगल रेगुलेटर

अभी UGC देश में गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा की देखरेख करता है, AICTE तकनीकी शिक्षा की देखरेख करता है, जबकि NCTE शिक्षकों की शिक्षा के लिए नियामक निकाय है।

 

कमीशन को एक सिंगल उच्च शिक्षा रेगुलेटर के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव है, लेकिन मेडिकल और लॉ कॉलेजों को इसके दायरे में नहीं लाया जाएगा।

 

अधिकारियों ने बताया कि इसके तीन मुख्य भूमिकाएँ होंगी - विनियमन, मान्यता और पेशेवर मानक तय करना।

 

फंडिंग, जिसे चौथा वर्टिकल माना जाता है, अभी तक रेगुलेटर के तहत लाने का प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि फंडिंग की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास रहने का प्रस्ताव है।

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