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SAFALTA Talks Master Class : आज के स्टूडेंट 10 साल बाद वो नौकरियां करेंगे जो आज नहीं हैं : सोनल अरोरा

Media Solution Initiative Published by: Pushpendra Mishra Updated Fri, 19 Jan 2024 01:31 PM IST
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सार

Safalta Talk Master Session Topic: Skills For Bharat Students, Guest: Sonal Arora, Country Manager Gi Group Holding

SAFALTA Talks : Today's students will do jobs in 10 years which do not exist today:Sonal
Skills For Bharat Students - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सफलता.कॉम द्वारा स्किल्स फॉर भारत स्टूडेंट्स विषय पर आयोजित किये गए मास्टर क्लास सेशन में जीआई ग्रुप होल्डिंग की कंट्री मैनेजर सोनल अरोरा ने कहा कि सक्सेस की कोई स्टैंडर्ड परिभाषा नहीं है। उन्होंने कहा कि अलग - अलग लोगों के लिए सफलता के पैमाने अलग हो सकते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि शुरूआत में जब हमें पता नहीं होता है तो हर रास्ता सही लगता है। कई बार हम एक रास्ता चुनकर आगे भी बढ़ जाते हैं। कुछ समय तक इस पर आपको चलना भी पड़ता है। मेरा मानना ये कि आप चाहे किसी भी फील्ड में हों इतनी जल्दी आपको हार नहीं माननी चाहिए। हालांकि मैं ये नहीं कहती कि अगर किसी चीज के लगातार करने पर आपको रिजल्ट नहीं मिल रहे फिर भी करो। क्योंकि कई बार रास्ता ऐसा होता है जो आपको कहीं नहीं ले जाता ऐसी स्थिति में रास्ता बदल लेने में कोई बुराई नहीं है।

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युवाओं के लिए जरूरी 5 स्किल

1-समस्या देखकर पैनिक न हों छात्र - 12वीं पास छात्र या ग्रेजुएट छात्रों के लिए स्किल की बात पर उन्होंने सोनल 5 स्किल बताईं जिसमें पहली स्किल है कि युवाओं को समस्या के समाधान के ऊपर सोचना चाहिए। कि अमुक समस्या को मैं कैसे सॉल्व कर सकता हूं। इन पैरामीटर्स से अगर सॉल्यूशन निकालूंगा तो निकल आएगा। समस्या आने पर परेशान न हों बल्कि समस्या के आने पर रिएक्टिव हो जाएं। क्योंकि समस्याओं का स्वरूप बदल जाएगा समस्याओं का आना बंद नहीं होगा। लेकिन अगर आप समस्याएं सुलझाना सीख जाएंगे तो वो स्किल आपके साथ हमेशा रहेगी।

2-दूसरी स्किल है जो छात्रों में डेवलप करने की कोशिश करनी चाहिए वो है लाइफ लांग लर्निंग - हमें हर समय कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश करनी चाहिए। चाहे वो छोटी चीज हो या बड़ी। आजकल के स्टूडेंट आज के 10 साल बाद वो नौकरियां करेंगे जो आज हमने शायद सोची भी नहीं हैं। जो टेक्नोलॉजी के बदलने का ट्रेंड है वो कुछ ऐसा है कि आज जो बच्चा इंजीनियरिंग के फर्स्ट इयर में एडमिशन ले रहा है वो जब तक अपना इंजीनियरिंग कोर्स पूरा करेगा तब तक वो ट्रेंड्स बदल जाएंगे जो उसके एडमिशन के समय थे। टेक्नोलॉजी की जो सेल्फ लाइफ है वो बहुत कम होती जा रही है। तो हमें नई चीजें नई स्किल्स सीखने की कोशिश करनी चाहिए। अपने में हर समय के लिए योग्यता विकसित करते रहना चाहिए।

3-तीसरी स्किल है इनोवेशन - यानी जो चीजें आज हम कर रहे हैं या हमारे पास हैं उसे हम कैसे बेहतर बना सकते हैं। क्योंकि इन्ही चीजों से हमें आगे अपनी जिंदगी को इंप्रूव करने की सीख मिलेगी।

4-चौथी जो स्किल वो है इंटरपर्सनल स्किल्स - सोनल ने कहा कि चैट जीपीटी या टेक्नोलॉजी विकसित होकर आ रही है लेकिन जो हम देखते हैं वो होता है कॉरपोरेट वर्ल्ड में टीम वर्किंग और कोलेबोरेशन की कमी हो रही है। क्योंकि हर इंसान को अपना नजरिया ही ठीक लगता है। इसमें जो दूसरों को साथ लेकर काम करने की जो स्किल्स है उसकी अहमियत कभी कम नहीं होगी चाहे टेक्नोलॉजी कितनी भी विकसित क्यों न हो जाए।

5-जो 5वीं स्किल है वो है टेक्नोलॉजी को स्वीकार करना- दैनिक जीवन में टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल करना सीखना बहुत जरूरी है।  इन पांचों स्किल्स पर शिक्षा के अलावा हर छात्र को फोकस करना चाहिए।

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ग्रामीण भारत के छात्रों को ये देखना चाहिए कि वो खुद को कैसे आगे ले जा सकते हैं

उन्होंने कहा कि मैं मानती हूं कि आज का जो शहरी बच्चा है उसके पास ग्रामीण भारत के बच्चे से अधिक सुविधाएं हैं। ऐसे में जो स्टूडेंट भारत में रहते हैं उन्हें थोड़ा अधिक डिसएडवांटेज है। हालांकि ग्रामीण भारत के छात्रों के लिए अब पहले वर्षों जैसी समस्याएं नहीं हैं। जो जानकारी उन्हें पहले के वर्षों में नहीं होती थी वह जानकारी अब उन्हें इंटरनेट के जरिये आसानी से हो जाती है। ग्रामीण भारत के छात्रों को ये देखना चाहिए कि कैसे वो खुद को आगे ले जा सकते हैं। आज का समय सूचनाओं का समय है। चारो तरफ से हमें सूचनाएं मिल रही हैं हर प्लेटफॉर्म हमें जानकारियां दे रहा है। इन अपॉरचुनिटीज का फायदा उठाते हुए युवाओं को ये सोचना चाहिए कि अपने लिए वो आगे क्या रास्ता बना सकते हैं।

इंटरनेट पर बढ़ रहा क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल

उन्होंने डिजिटल पर भाषा के बैरिअर के सवाल पर कहा कि अब क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट काफी इंटरनेट पर उपलब्ध है। कई इंटरनेट पर टूल्स ऐसे हैं जिनका यूज करके आप अंग्रेजी के कंटेंट को उठाकर क्षेत्रीय भाषाओं में बना सकते हैं। सरकार भी क्षेत्रीय भाषाओं को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है। ये सही है कि इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा में कंटेंट ज्यादा है। इसलिए हम अंग्रेजी भाषा में भी खुद को स्किल्ड कर सकते हैं। जैसे हर भाषा है उसी तरह अंग्रेजी भाषा भी है। तो अगर आप इसे सीख लेंगे तो आपको ही इसका फायदा मिलेगा। इंटरनेट पर आजकल के जो बच्चे हैं वो दो चीजों के लिए यूज करते हैं। भारत और इंडिया के बच्चों का इसमें एक जैसा इस्तेमाल आप देख सकते हैं। इसमें एक तो है एंटरटेनमेंट। यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर जो बच्चे हैं वो सिर्फ इसलिये है कि इसमें वीडियो है और ऑडियो भी है। इसके अलावा इसमें जो बात है वो है एंटरटेनमेंट। दूसरा उदाहरण इसका मैं दूं तो विकीपीडिया को आप देखें जिसमें जानकारी तो है लेकिन मनोरंजन नहीं है तो उसका इस्तेमाल कम होता है।

आधुनिक शैक्षणिक पद्धति से ही पढ़ें बच्चे

दूसरी बात भारत और इंडिया दोनों के जो बच्चे हैं उन्हें आप पुराने तरीकों से नहीं पढ़ा सकते, क्योंकि वो इंटरनेट के साथ वो बड़े होते हैं। उनको किताबों और न्यूजपेपर से विजुअल लर्निंग में ज्यादा इंट्रेस्ट है। इसलिए आज की जो टीचिंग पद्धति है वो आधुनिक होगी तभी बच्चों के लिए बेहतर होगा। साथ ही इंटरनेट पर जो कंटेंट है उसमें खो जाना बहुत आसान है अभिभावक और शिक्षक बच्चों के लिए ये तय करें कि वो सही कंटेंट, शैक्षिक कंटेंट पर भी फोकस करें।

देश के कोने कोने तक शिक्षा को पहुंचाने के लिए हो वर्चुअल माध्यम का इस्तेमाल

वर्चुअल ट्रेनिंग पर सोनल ने कहा कि कोविड के समय स्कूलों और दफ्तरों में जो वर्चुअल ट्रेनिंग हो रही थी वो फिजिकल का मुकाबला नहीं कर सकती। क्योंकि जैसे जैसे परिस्थितियां बेहतर हुईं स्कूलों ने बच्चों और दफ्तरों ने कर्मचारियों को बुलाना शुरू कर दिया। हां ये जरूर कहा जा सकता है कि अगर देश के कोने कोने में जहां स्कूल नहीं है या ऐसे इलाके हैं जहां से स्कूल दूर हैं। तो वहां हमें शिक्षा को पहुंचाने के लिए वर्चुअल माध्यम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।

रिमोट जॉब्स ने महिलाओं के लिए खोले नौकरी के कई विकल्प

महिलाओं के काम करने पर सोनल ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत और इंडिया लगभग एक जैसा ही सोचते हैं जहां महिलाओं को घर संभालने और पुरुषों को बाहर जाकर काम करने का चलन है। जहां तक महिलाओं के रोजगार की बात है तो जो परेशानियां मेट्रो शहरों की महिलाओं को आती हैं वो छोटे शहरों की महिलाओं को भी आती हैं। क्योंकि मेट्रो सिटीज या छोटे शहर दोनों जगह ही महिलाओं से ये उपेक्षा की जाती है कि वो शादी के बाद घर संभालेंगी। या छोटा बच्चा है तो वह काम पर नहीं जाएंगी। उसकी देखभाल करेंगी। अपने कॅरिअर के साथ समझौता करेंगी। घरों में कोई ये उम्मीद नहीं करता कि बच्चे की देखभाल के लिए पिता अपनी नौकरी छोड़ेगा। तो इन मामलों में वो महिलाएं जो भारत के किसी भी हिस्से से हों फुट टाइम जॉब नहीं कर सकती हैं। या हफ्ते के 5 या 6 दिन बाहर जाकर काम नहीं कर सकतीं। ऐसी स्थिति में जो काम के दरवाजे उनके लिए बंद थे वो रिमोट जॉब या हाइब्रिड जॉब से खुल जाते हैं। भारत के लिए जो स्किल की परेशानी है वो काफी लंबे समय से है जिसमें कई जॉब ऐसे हैं जो आप ऑफिस जाकर ही कर सकते हैं। जैसे मैन्यूफैक्चरिंग या रिटेल। इसके अलावा जो नौकरियां आप घर से करते हैं उसके लिए आपके पास थोड़ी ज्यादा स्किल की जरूरत होती है। जैसे आईटी, रिक्रूटमेंट, डिजिटल मार्केटिंग या कस्टमर सर्विस जॉब्स। क्योंकि ये ही ऐसी स्किल्स हैं जिनमें वर्क फ्रॉम होम किया जा सकता है।

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