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JEE-NEET: कोचिंग पर निर्भरता कम करने की तैयारी, जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की होगी समीक्षा

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Thu, 02 Oct 2025 03:53 PM IST
सार

JEE-NEET: केंद्र सरकार जेईई और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं की कठिनाई स्तर की समीक्षा कर रही है ताकि यह कक्षा 12 के पाठ्यक्रम से मेल खाए और छात्रों की कोचिंग पर निर्भरता कम हो। विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा।
 

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Centre may review JEE, NEET difficulty to align with Class 12 syllabus, reduce coaching reliance
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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केंद्र सरकार जेईई और नीट जैसी प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की समीक्षा पर विचार कर रही है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन परीक्षाओं की कठिनाई का स्तर कक्षा 12 के पाठ्यक्रम के कठिनाई स्तर के अनुरूप हो और छात्रों को कोचिंग पर निर्भर न रहना पड़े। यह समीक्षा कोचिंग से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर की जाएगी।

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एक सूत्र ने कहा, "पैनल यह अध्ययन करने के लिए आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है कि क्या परीक्षाओं का कठिनाई स्तर कक्षा 12 के पाठ्यक्रम के कठिनाई स्तर के अनुरूप है, जो इन परीक्षाओं का आधार है। कुछ अभिभावकों और कोचिंग संस्थानों के संकाय सदस्यों का मानना है कि दोनों के बीच तालमेल नहीं है, जिससे अंततः कोचिंग पर निर्भरता बढ़ जाती है।"
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सूत्र ने आगे कहा, "पैनल की प्रतिक्रिया के आधार पर, इन प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर की समीक्षा करने पर विचार किया जाएगा।"

समिति के अध्यक्ष विनीत जोशी

इस नौ सदस्यीय पैनल की अध्यक्षता उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी कर रहे हैं। इसके सदस्यों में सीबीएसई अध्यक्ष, स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव, आईआईटी मद्रास, एनआईटी त्रिची, आईआईटी कानपुर और एनसीईआरटी के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसके अलावा, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एक निजी स्कूल के प्रधान भी पैनल में हैं।

पैनल का उद्देश्य सिर्फ परीक्षा की कठिनाई स्तर की समीक्षा करना नहीं है, बल्कि छात्रों की कोचिंग पर निर्भरता को कम करने के लिए व्यापक उपाय सुझाना भी है। पैनल स्कूलिंग सिस्टम में मौजूद अंतर, जैसे आलोचनात्मक सोच, तार्किक क्षमता, विश्लेषणात्मक कौशल और नवाचार पर सीमित ध्यान तथा रूट लर्निंग की प्रचलित पद्धति का मूल्यांकन कर रहा है। 

इसके अलावा, छात्रों और अभिभावकों में विविध कैरियर विकल्पों की जानकारी की कमी और स्कूलों/कॉलेजों में कैरियर काउंसलिंग सेवाओं की प्रभावशीलता पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

जून 2025 में गठित हुई थी समिति

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब देश के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में छात्रों की बढ़ती निर्भरता के कारण कई समस्याएं सामने आई हैं। इसमें छात्रों की तनावपूर्ण परिस्थितियां, आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाएं, आग दुर्घटनाएं और कोचिंग संस्थानों की सुविधाओं की कमी शामिल हैं। जून 2025 में शिक्षा मंत्रालय ने यह पैनल गठित किया था ताकि कोचिंग संस्थानों, डमी स्कूलों और प्रवेश परीक्षाओं की निष्पक्षता से जुड़ी समस्याओं की समीक्षा की जा सके।

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