Harvard: IMF की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ का इस्तीफा, 7 साल बाद लौटेंगी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
Gita Gopinath Resign From IMF: भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने 7 साल बाद IMF छोड़कर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में वापसी करने का फैसला किया है। वे 1 सितंबर से हार्वर्ड में “Gregory and Ania Coffey प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स” की भूमिका संभालेंगी।

विस्तार
Gita Gopinath Rejoins Harvard University: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में पहले डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और फिर मुख्य अर्थशास्त्री रह चुकीं भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने IMF से इस्तीफा दे दिया है। गीता गोपीनाथ ने घोषणा की है कि वे IMF से इस्तीफा देकर एक बार फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की फैकल्टी में शामिल होने जा रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “IMF में शानदार 7 वर्षों के बाद, मैंने अपनी अकादमिक जड़ों में लौटने का निर्णय लिया है।”

हार्वर्ड में नई भूमिका, IMF में ऐतिहासिक योगदान
गीता गोपीनाथ 1 सितंबर से हार्वर्ड के अर्थशास्त्र विभाग में ‘Gregory and Ania Coffey Professor of Economics’ के रूप में शामिल होंगी। गीता ने कहा कि अब वे अकादमिक क्षेत्र में लौटकर अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकोनॉमिक्स के शोध को आगे बढ़ाने और नई पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए उत्सुक हैं। गीता गोपीनाथ ने IMF में जनवरी 2019 में मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में कार्यभार संभाला था और जनवरी 2022 में उन्हें फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। IMF में उन्होंने वैश्विक संकट- कोविड-19 महामारी, युद्ध, महंगाई और ट्रेड में बदलाव जैसे कठिन समय में संगठन की नीतियों को मजबूती से नेतृत्व दिया।
IMF में आने से पहले, वह 2005 से 2022 तक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग में John Zwaanstra प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थीं और 2001 से 2005 तक शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं।
IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर ने क्या कहा?
IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिएवा ने गीता को एक उत्कृष्ट साथी, बौद्धिक नेतृत्वकर्ता और समर्पित प्रबंधक बताया। उन्होंने कहा कि गीता ने IMF में अत्यंत चुनौतीपूर्ण दौर में न केवल विश्लेषणात्मक कड़ाई दिखाई, बल्कि व्यावहारिक नीति सलाह भी दी, जिसमें कोविड-19 महामारी, युद्ध, महंगाई की समस्या और वैश्विक व्यापार प्रणाली में बड़े बदलाव शामिल थे।