JU: जादवपुर यूनिवर्सिटी में इस्लामोफोबिया के आरोप पर विवाद, दीक्षांत समारोह में पोस्टर प्रदर्शन
Jadavpur University: जादवपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में दो छात्राओं ने कथित इस्लामोफोबिया के खिलाफ पोस्टर दिखाकर विरोध किया। मामला परीक्षा के दौरान हिजाब पहनने वाली छात्रा की जांच से जुड़ा है। फैकल्टी ने आरोपों से इनकार किया है और वीसी ने जांच का आश्वासन दिया है।
विस्तार
Jadavpur University: जादवपुर यूनिवर्सिटी (JU) में कथित इस्लामोफोबिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। वार्षिक दीक्षांत समारोह के दौरान दो छात्राओं ने मंच पर वाइस चांसलर से डिग्री और प्रमाण पत्र लेते समय एक पोस्टर दिखाया, जिस पर लिखा था, "जादवपुर यूनिवर्सिटी में इस्लामोफोबिया के लिए कोई जगह नहीं है।"
छात्राओं ने दीक्षांत समारोह के बाद मीडिया को बताया कि सोमवार को आयोजित इंग्लिश सेमेस्टर परीक्षा के दौरान एक इनविजिलेटर ने थर्ड ईयर की एक अंडरग्रेजुएट छात्रा, जो हेड स्कार्फ पहने हुई थी, से कहा कि वह अपनी सहपाठी की मदद से हिजाब आंशिक रूप से हटाए। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह किसी वायरलेस हेडफोन का इस्तेमाल तो नहीं कर रही है।
जांच के दौरान किसी भी तरह की संदिग्ध सामग्री नहीं मिली। विरोध करने वाली छात्राओं में से एक ने कहा, "हम अपनी जूनियर सहपाठी के साथ हुए इस व्यवहार का विरोध करते हैं, क्योंकि इससे उसकी भावनाएं आहत हुईं। हमने कोई हंगामा नहीं किया, लेकिन हमें लगा कि जेयू जैसे उदार और धर्मनिरपेक्ष संस्थान में ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है। इसलिए हमने डिग्री लेते समय शांतिपूर्वक पोस्टर दिखाया।"
SFI ने झाड़ा पल्ला
छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने इस विरोध से खुद को अलग कर लिया है। संगठन के एक नेता ने कहा कि यह छात्राओं का निजी फैसला था और इसका एसएफआई के दीक्षांत समारोह के दौरान छात्र संघ चुनाव, आईसीसी में प्रतिनिधित्व या कैंपस सुरक्षा को लेकर चल रहे प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन किसी ऐसे कदम का समर्थन नहीं करता, जिससे किसी की भावनाएं आहत हों।
फैकल्टी ने आरोपों को किया खारिज
हालांकि, यूनिवर्सिटी के फैकल्टी सदस्यों ने इस्लामोफोबिया के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। इंग्लिश विभाग के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा कि परीक्षा के दौरान नकल के कई मामले सामने आए थे, जिसके बाद निगरानी सख्त की गई थी। पिछले सप्ताह कम से कम चार छात्र हेडफोन के जरिए नकल करते पकड़े गए थे, जिनमें कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं था।
प्रोफेसर के अनुसार, उस दिन एक छात्रा को हूडी पहने हुए हेडफोन का इस्तेमाल करते हुए पकड़ा गया था। उसे एक अन्य थर्ड ईयर की छात्रा की मौजूदगी में पास के कमरे में ले जाया गया, जहां कोई और मौजूद नहीं था। छात्रा के सहयोग के बाद परीक्षा बिना किसी आपत्ति के आगे बढ़ाई गई।
आरोपों को बताया निराधार
पोस्टर दिखाने वाली एक छात्रा ने दोहराया कि इनविजिलेटर का संदेह पूरी तरह बेबुनियाद था। वहीं प्रोफेसर ने स्पष्ट किया कि उसी परीक्षा में हिजाब पहनने वाली दो अन्य छात्राओं, जिनमें एक दिव्यांग भी थी, की कोई जांच नहीं की गई।
फैकल्टी का कहना है कि जादवपुर यूनिवर्सिटी पर इस्लामोफोबिया जैसे आरोप लगाना गलत है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर शिक्षकों को इस तरह निशाना बनाया गया, तो उनके लिए अपनी जिम्मेदारियां निभाना मुश्किल हो जाएगा।
वीसी ने जांच का भरोसा दिलाया
हालांकि यूनिवर्सिटी की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन वाइस चांसलर चिरंजीब भट्टाचार्य ने कहा कि छात्रों ने उन्हें एक पत्र सौंपा है और पूरे मामले की जांच की जा रही है।