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Smart habits: काम और निजी जिंदगी में तालमेल, अपनाएं ये स्मार्ट वर्क-लाइफ टिप्स; बढ़ाएं दिनभर की प्रोडक्टिविटी

जेनिफर मॉस, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू Published by: शाहीन परवीन Updated Tue, 18 Nov 2025 09:53 AM IST
सार

Time Management: काम और निजी जिंदगी के बीच सही संतुलन बनाना आज की तेज़ रफ्तार दिनचर्या में बेहद जरूरी है। कुछ सरल और प्रभावी उपाय न सिर्फ आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ाते हैं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी को भी अधिक संतुलित और तनावमुक्त बनाते हैं।

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Smart Work-Life Balance Tips to Boost Your Daily Productivity
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : freepik
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विस्तार
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Productivity: आज की व्यस्त दुनिया में हम सभी अपनी प्रोडक्टिविटी (उत्पादकता) बढ़ाने की होड़ में लगे रहते हैं। इसी कोशिश में कई बार हम जरूरत से ज्यादा काम करने लगते हैं और खुद पर बेवजह दबाव डाल लेते हैं। यही आदत धीरे-धीरे ‘टॉक्सिक प्रोडक्टिविटी’ का रूप ले लेती है, जहां काम की गुणवत्ता से ज्यादा, केवल काम की मात्रा महत्वपूर्ण बन जाती है। अगर आपको लगता है कि आप भी ऐसे दबाव का सामना कर रहे हैं, तो कुछ उपाय आपको इससे बाहर निकाल सकते हैं।

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अपने काम और आराम के बीच संतुलन बनाकर अपने लिए सकारात्मक माहौल तैयार करके आप न सिर्फ इस हानिकारक दौर को रोक सकते हैं, बल्कि लंबे समय तक टिकने वाली वास्तविक उत्पादकता भी हासिल कर सकते हैं।

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काम की हद तय करें

टॉक्सिक प्रोडक्टिविटी से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने काम की हद तय करें। तय समय पर ही काम करें, लगातार मोबाइल देखने की आदत कम करें और खाली समय में खुद को आराम दें। कोशिश करें कि काम और निजी जिंदगी के बीच बराबर संतुलन बना रहे। अगर दबाव ज्यादा महसूस हो, तो कुछ दिन की छुट्टी लेकर खुद को थोड़ा ब्रेक देना सही है।

उद्देश्य स्पष्ट हों

यह जरूरी नहीं कि आप कितने घंटे काम करते हैं, बल्कि असली मायने आपके काम के नतीजों के होते हैं। इसलिए कोशिश करें कि हर काम गुणवत्ता के साथ पूरा हो। इसके लिए साफ-साफ लक्ष्य तय करना मददगार होता है। जब आपके उद्देश्य स्पष्ट होंगे, तो आप समझ पाएंगे कि किस काम को पहले करना है और किसे बाद में रखा जा सकता है। इसका मतलब यह भी है कि जरूरत पड़ने पर कुछ काम आगे शेड्यूल किए जा सकते हैं या किसी और को सौंपे जा सकते हैं।

शेड्यूल अपनाएं

थकान और ओवरवर्क से बचने का आसान तरीका है कि आप काम के बीच रणनीतिक रूप से ब्रेक लें। इसके लिए 3एम ब्रेक सिस्टम अपनाया जा सकता है, जिसमें मैक्रो, मेसो और माइक्रो तीन तरह के ब्रेक शामिल होते हैं। मैक्रो ब्रेक महीने में एक दिन का लंबा ब्रेक होता है, जिसमें आप घूमने, वॉक पर जाने या परिवार के साथ समय बिताकर खुद को रीफ्रेश कर सकते हैं। मेसो ब्रेक हफ्ते में एक-दो घंटे का होता है, जिसमें संगीत सुनना, कोई खेल खेलना या फिल्म देखना जैसे पसंदीदा काम किए जा सकते हैं। वहीं माइक्रो ब्रेक दिनभर में कुछ मिनटों के छोटे-छोटे विराम होते हैं, जिनमें स्ट्रेचिंग या हल्का ध्यान करना सबसे कारगर होता है।

प्रेरक किताबें पढ़ें

टॉक्सिक प्रोडक्टिविटी से बाहर निकलने का एक आसान तरीका है कि हर दिन थोड़ा समय पढ़ने के लिए निकालें, चाहे वह कोई नॉवेल हो, प्रेरक किताब हो या कोई हल्का -फुल्का उपन्यास। पढ़ने से मन शांत होता है, सोच स्पष्ट होती है और खुद को प्रेरित रखना भी आसान हो जाता है।
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