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Report: कनाडा-अमेरिका में पढ़ाई महंगी, छात्र अब जर्मनी-आयरलैंड जैसे किफायती देशों की ओर कर रहे रुख

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Thu, 20 Nov 2025 04:04 PM IST
सार

Study Abroad: कनाडा, अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया में बढ़ी ट्यूशन फीस और आर्थिक शर्तों के कारण छात्र अब जर्मनी, आयरलैंड, फ्रांस और स्पेन जैसे किफायती विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक वैश्विक छात्र गतिशीलता 1 करोड़ तक पहुंच सकती है।
 

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Students shift focus to affordable nations like Germany as study costs rise in Canada, US, UK, Australia
Study Abroad - फोटो : Freepik
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विस्तार
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Study Abroad: कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे पारंपरिक विदेश शिक्षा गंतव्यों में ट्यूशन फीस बढ़ने और प्रूफ ऑफ फंड्स की अधिक मांग ने विद्यार्थियों को अपने अध्ययन विकल्पों पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है। यह खुलासा "2026 ट्रेंड्स रिपोर्ट: बिल्डिंग एंड रीबिल्डिंग ग्लोबल एजुकेशन" में हुआ है, जिसे इंटरनेशनल स्टूडेंट मोबिलिटी टेक प्लेटफॉर्म ApplyBoard ने जारी किया है।

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रिपोर्ट के अनुसार, अब अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ाई के चयन में प्रतिष्ठा के बजाय किफायती विकल्प, रोजगार के अवसर और स्थिर नीतियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। जर्मनी और आयरलैंड को वर्तमान समय में सबसे किफायती और व्यावहारिक विकल्प माना जा रहा है। फ्रांस और स्पेन में रिकॉर्ड स्तर पर नामांकन बढ़ा है, इसका श्रेय आवास योजनाओं और सरल वीजा प्रक्रिया को दिया गया।

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पारंपरिक देशों की स्थिति

  • कनाडा में 2025 तक स्टडी परमिट जारी करने में 54% की गिरावट, जबकि पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट में 30% तक कमी की संभावना।
  • ऑस्ट्रेलिया और यूके में आवेदन संख्या स्थिर, लेकिन कड़ाई और बढ़ती जीवन-यापन लागत से मांग प्रभावित।

छात्रों की प्राथमिकता में बदलाव

अप्लाईबोर्ड के को-फाउंडर और सीईओ मेटी बसिरी ने कहा, "विदेश में पढ़ाई करने का फैसला अब पहले से कहीं ज्यादा एक फाइनेंशियल कैलकुलेशन है। इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए, ठोस नतीजों, सस्ती पढ़ाई, पढ़ाई के बाद काम के मौकों और ऐसी जगहों पर शिफ्ट हो गया है जो पॉलिसी में एक जैसापन देती हैं। हमारी 2026 की रिपोर्ट उन्हें इस बारे में सोच-समझकर फैसले लेने के लिए इनसाइट देती है कि कहां पढ़ाई करनी है और सफल ग्लोबल करियर कैसे बनाना है।"

छात्र ऐसे देश चुन रहे हैं जहां:

  • शिक्षा सस्ती हो
  • पढ़ाई के बाद नौकरी के अवसर हों
  • नीतियां स्थिर और स्पष्ट हों


रिपोर्ट में बताया गया है कि नॉन-एंग्लोफोन जगहें रिकॉर्ड संख्या में स्टूडेंट्स का स्वागत करने के लिए अपनी पॉलिसी को बेहतर बना रही हैं।

जर्मनी में विंटर सेमेस्टर 2024-25 में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या 4,00,000 पार हो गई, जिसे स्टडी-टू-वर्क ट्रांजिशन और डुअल सिटिजनशिप रिफॉर्म्स से मदद मिली। फ्रांस 2030 तक 30,000 इंडियन स्टूडेंट्स को होस्ट करने का प्लान बना रहा है, जिसमें बड़े लक्ष्यों के साथ साफ़ एम्प्लॉयमेंट पाथवे और सेंट्रलाइज़्ड हाउसिंग सपोर्ट शामिल है।

2030 तक 10 मिलियन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पहुंचने की संभावना

रिपोर्ट में कहा गया है कि साउथ कोरिया और यूनाइटेड अरब एमिरेट्स बढ़े हुए वर्क राइट्स और आसान इमिग्रेशन प्रोसेस के जरिए इंटरनेशनल स्टूडेंट एनरोलमेंट को तेजी से बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ग्लोबल स्टूडेंट मोबिलिटी बढ़ती रहेगी और 2030 तक 10 मिलियन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स तक पहुंचने की संभावना है, लेकिन ज्यादा डायवर्सिफाइड और इकोनॉमिकली ड्रिवन पाथवे के साथ।

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