Tezpur University: आंदोलन के बीच वरिष्ठ प्रोफेसर ने संभाला कार्यवाहक कुलपति का पद, मामले की जांच की मांग तेज
Tezpur University VC: तेजपुर यूनिवर्सिटी सात दिनों से बंद है। भ्रष्टाचार आरोपों के चलते छात्रों और कर्मचारियों का आंदोलन जारी है। BOM बैठक के बाद प्रो-वीसी नियुक्ति विवाद बढ़ा। ताजा अपडेट यह है कि एक्ट 1993 के तहत वरिष्ठ प्रोफेसर ने कार्यवाहक कुलपति का पद संभाल लिया है।
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Tezpur University VC Row: असम के सोनितपुर जिले में स्थित तेजपुर यूनिवर्सिटी पिछले सात दिनों से पूरी तरह बंद है। इसी बीच शुक्रवार सुबह एक बड़ी घटना हुई, विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर ने खुद-ही-खुद (suo motu) कार्यवाहक कुलपति (Acting VC) का पद संभाल लिया।
विवाद कैसे बढ़ा?
यह पूरा विवाद मौजूदा कुलपति प्रो. शंभु नाथ सिंह के खिलाफ चल रहे आंदोलन से जुड़ा है, जो सितंबर के मध्य से लगातार जारी है। गुरुवार दोपहर सिंह ने अचानक बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (BOM) की बैठक बुलाई और उसके बाद मास कम्युनिकेशन विभाग की प्रोफेसर जया चक्रवर्ती को प्रो-वीसी (Pro-VC) नियुक्त कर दिया।
लेकिन प्रो. जया चक्रवर्ती ने इस पद को स्वीकार करने से साफ मना कर दिया। इसके बाद आंदोलन चला रहे तेजपुर यूनिवर्सिटी यूनाइटेड फोरम (TUUF) ने भी साफ कर दिया कि विश्वविद्यालय की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।
तेजपुर यूनिवर्सिटी एक्ट, 1993 का इस्तेमाल
हड़ताल 29 नवंबर से चल रही है। विरोध कर रहे छात्रों और कर्मचारियों की मांग है कि कुलपति सिंह को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते हटाया जाए। गुरुवार देर रात विश्वविद्यालय समुदाय एकजुट हुआ और निर्णय लिया कि तेजपुर यूनिवर्सिटी एक्ट, 1993 के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए वरिष्ठतम प्रोफेसर को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया जाए।
इसके अनुसार, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर ध्रुब कुमार भट्टाचार्य ने तत्काल प्रभाव से कार्यवाहक कुलपति का पद संभाल लिया। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर पूरी स्थिति की जानकारी दी और एक्ट के संबंधित प्रावधानों का उल्लेख भी किया।
मंत्रालय की भूमिका पर सवाल
एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि, “हम मंत्रालय से किसी सकारात्मक कदम की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन वह सिर्फ दर्शक बनकर बैठा रहा। बल्कि इसके उलट, विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुलपति सिंह के साथ मिलकर एक नया प्रो-वीसी नियुक्त कर दिया।”
विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि समुदाय कुलपति सिंह को हटाने के अलावा किसी विकल्प को स्वीकार नहीं करेगा। तीन महीने से ज्यादा समय से सिंह कैंपस से दूर हैं, इसलिए एक्ट के तहत कार्यवाहक कुलपति ने पदभार संभाला है।
सात दिनों से ठप है विश्वविद्यालय
एक आंदोलनकारी छात्र ने बताया कि जब तक कुलपति के खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच के आदेश नहीं दिए जाते, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। छात्रों ने 29 नवंबर से सभी शैक्षणिक गतिविधियां और सेवाएं बंद कर दी हैं, जिसके चलते प्रशासन को सभी एंड-टर्म परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं।
शिक्षकों की संस्था TUTA और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की संस्था TUNTEA ने भी TUUF के आंदोलन को खुला समर्थन दिया है। इस समर्थन के कारण विश्वविद्यालय पिछले सात दिनों से पूरी तरह ठप पड़ा है।
विवाद की जड़
22 सितंबर को विश्वविद्यालय में कुलपति और छात्रों के बीच तीखी बहस और हंगामे की स्थिति बनी थी, जिसके बाद सिंह को कैंपस छोड़ना पड़ा। तब से लगातार तनाव बढ़ता गया और अब तक 11 से अधिक फैकल्टी सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी या तो इस्तीफा दे चुके हैं या विश्वविद्यालय छोड़ चुके हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके पास जो सबूत हैं, वे जांच शुरू करने में किसी भी तरह की देरी को उचित नहीं ठहराते। उनका मानना है कि कुलपति को पद पर रहने देना विश्वविद्यालय की साख और ईमानदारी को कमजोर करता है।