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Carbon Dating: जानें क्या है कार्बन डेटिंग, ज्ञानवापी मामले में क्यों हो रही है इसके इस्तेमाल की मांग

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: सुभाष कुमार Updated Sat, 08 Oct 2022 01:46 PM IST
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सार

Carbon Dating: दरअसल हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन के तीन आइसोटोप पाए जाते हैं। ये कार्बन- 12, कार्बन- 13 और कार्बन- 14 के रूप में जाने जाते हैं। कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है।

What is Carbon Dating which is demanded in gyanvapi mousque case shivling controversy
What is Carbon Dating? - फोटो : Social Media
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Carbon Dating: वाराणसी के ज्ञानवापी में कथित तौर पर शिवलिंग मिलने पर विवाद लगातार जारी है। याचिकाकर्ता पक्ष ने कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की है, जिस मानले पर अदालत में सुनवाई हो रही है। इस मांग पर फैसला आज 07 अक्तूबर को आना था। लेकिन अब फैसले की नई तारीख 11 अक्तूबर, 2022 को दी गई है। सभी की नजर अब अदालत के फैसले पर टिकी है। ऐसे में लोगों में इस बात को लेकर उत्सुकता बन रही है कि ये कार्बन डेटिंग होती क्या है और इस प्रक्रिया को कैसे पूरा किया जाता है। आइए इस खबर में जानते हैं इन सभी सवालों का जवाब....

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क्या होती है कार्बन डेटिंग?
कार्बन डेटिंग उस विधि का नाम है जिसका इस्तेमाल कर के किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इस विधि के माध्यम से लकड़ी, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु पता की जा सकती है। यानी की ऐसी हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी करीब-करीब आयु इस विधि के माध्यम से पता की जा सकती है। इसी कारण वादी पक्ष की चार महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या किसी अन्य आधुनिक विधि से जांच की मांग की है। 
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क्या होती है कार्बन डेटिंग की विधि?
दरअसल हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन के तीन आइसोटोप पाए जाते हैं। ये कार्बन- 12, कार्बन- 13 और कार्बन- 14 के रूप में जाने जाते हैं। कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है। जब किसी जीव की मृत्यु होती है तब ये वातावरण से कार्बन का आदान प्रदान बंद कर देते हैं। इस कारण उनके कार्बन- 12 से कार्बन- 14 के अनुपात में अंतर आने लगता है।यानी कि कार्बन- 14 का क्षरण होने लगता है। इसी अंतर का अंदाजा लगाकर किसी भी अवशेष की आयु का अनुमान लगाया जाता है।

क्या पत्थर पर भी कारगर है कार्बन डेटिंग?
आम तौर पर कार्बन डेटिंग की मदद से केवल 50 हजार साल पुराने अवशेष का ही पता लगाया जा सकता है। पत्थर और चट्टानों की आयु इससे ज्यादा भी हो सकती है। हालांकि, कई अप्रत्यक्ष विधियां भी हैं जिनसे पत्थर और चट्टानों की आयु का पता लगाया जा सकता है। कार्बन डेटिंग के लिए चट्टान पर मुख्यत: कार्बन- 14 का होना जरूरी है। अगर ये चट्टान पर न भी मिले तो इस पर मौजूद रेडियोएक्टिव आइसोटोप के आधार पर इसकी आयु का पता लगाया जा सकता है। 

1949 में हुई थी कार्बन डेटिंग की खोज
कार्बन डेटिंग के विधि की खोज 1949 में हुई थी। अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड फ्रैंक लिबी और उनके साथियों ने इसका अविष्कार किया था। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें 1960 में रसायन का नोबल पुरस्कार दिया गया था। कार्बन डेटिंग की मदद से पहली बार लकड़ी की उम्र पता की गई थी। 
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