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LS Election: चुनावी नतीजों से चमक उठी 'राहुल गांधी' की लीडरशिप, क्या इंडिया गठबंधन में बढ़ेगी स्वीकार्यता

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Tue, 04 Jun 2024 04:04 PM IST
सार
विपक्ष के तगड़े हमले के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने 'आत्मविश्वास' में कमी नहीं आने दी। चुनाव प्रचार के बीच जब पीएम मोदी ने राहुल को लेकर यह बयान दिया कि अंबानी, अदाणी से कितना माल उठाया है। राहुल गांधी ने तुरंत पलटवार किया।
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Lok Sabha election result 2024 congress leader rahul gandhi opposition alliance, mamata banerjee, sonia gandhi
कांग्रेस नेता राहुल गांधी। - फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार
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लोकसभा चुनाव के नतीजों से 'राहुल गांधी' की लीडरशिप चमक उठी है। नतीजों ने जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया है, वहीं दूसरी तरफ 'इंडिया गठबंधन' में भी राहुल की स्वीकार्यता बढ़ गई है। कांग्रेस पार्टी की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक रशीद किदवई ने यह बात कही है। मौजूदा राजनीतिक हालात में राहुल गांधी के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। लोकसभा चुनाव में उन्होंने सत्ता पक्ष के किसी भी बयान का काउंटर करने में देर नहीं लगाई। राहुल का राजनीतिक ग्राफ बढ़ गया है। बड़ी बात ये है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के वोट शेयर में भी इजाफा हुआ है।



राहुल के आत्मविश्वास में नहीं आई कमी 
चुनाव तो इंदिरा गांधी भी हारी थी, दूसरे बड़े नेता हारते रहे हैं। विपक्ष के तगड़े हमले के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने 'आत्मविश्वास' में कमी नहीं आने दी। चुनाव प्रचार के बीच जब पीएम मोदी ने राहुल को लेकर यह बयान दिया कि अंबानी, अदाणी से कितना माल उठाया है। राहुल गांधी ने तुरंत पलटवार किया। उन्होंने अपने वीडियो मैसेज में कहा, नमस्कार मोदी जी, थोड़ा सा घबरा गए क्या। मुंबई और गुवाहाटी से लेकर अहमदाबाद तक, तमाम एयरपोर्ट प्रधानमंत्री ने अपने 'टेंपो वाले मित्र' को सौंप दिए हैं।


फ्रंट फुट पर बैटिंग की
रशीद किदवई ने कहा, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष 'राहुल गांधी', ने फ्रंट फुट पर बैटिंग की है। पिछले कुछ दिनों से उन्होंने अपनी रैलियों में कहना शुरू कर दिया था कि 'झूठ की फैक्ट्री' भाजपा, खुद को कितना भी दिलासा दे ले, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। देश के हर कोने में 'इंडिया' की आंधी चल रही है। एक जुलाई 2024 को सुबह सुबह गरीब परिवार की महिलाएं जब अपना अकाउंट चेक करेंगी तो उसमें 8500 रुपये आ चुके होंगे। इन बयानों के पीछे राहुल गांधी का आत्मविश्वास था।

 ये चुनाव झूठ और अहंकार की हार
विपक्ष ने उन पर खूब हमला बोला, लेकिन राहुल अपनी राह से विचलित नहीं हुए। एक समय ऐसा भी आया था, जब कांग्रेस में ही राहुल की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लग गया था। उनकी स्वीकार्यता का ग्राफ गिरता जा रहा था। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अशोक शर्मा ने कहा, ये चुनाव झूठ और अहंकार की हार है। मोदी सरकार ने पक्षपात तरीके से काम किया है। राहुल गांधी, संविधान के साथ छेड़छाड़, अग्निवीर, किसान और युवाओं के मुद्दों को जमीन पर ले गए। लोगों ने उनकी बात पर भरोसा किया। निश्चित तौर पर राहुल गांधी का कद बढ़ गया है।

बतौर रशीद किदवई, लोकसभा चुनाव के नतीजों ने राहुल गांधी को सियासत में एक मजबूत आधार प्रदान किया है। उनका राजनीतिक ग्राफ, पहले के मुकाबले काफी बढ़ गया है। वोट शेयर का बढ़ना, किसी भी पार्टी के लिए बहुत बड़ी बात होती है। अगर कांग्रेस पार्टी, 19 प्रतिशत से 27 प्रतिशत के वोट शेयर का आंकड़ा पार कर रही है तो ये छोटी बात नहीं है। ऐसे में राहुल गांधी की स्वीकार्यता बढ़ना तय है। राहुल गांधी ने आत्मविश्वास नहीं छोड़ा।

एक समय वह भी आया, जब कांग्रेस पार्टी में ही राहुल ही स्वीकार्यता कम हो रही थी। कांग्रेस नेताओं को लगने लगा था कि उनकी पार्टी, हाशिये पर आ गई है। लोकसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया है। ऐसे में विपक्ष यानी इंडिया गठबंधन भी उन्हें पसंद करेगा। इंडी गठबंधन में कई नेताओं का ग्राफ बढ़ा है। अब अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की बात का वजन बढ़ेगा। अब कांग्रेस और इंडिया गठबंधन में यह संदेश नहीं जाएगा कि राहुल का ग्राफ नीचे जा रहा है। राहुल की लीडरशिप में नहीं जीत सकते, अब इस बात में कोई दम नहीं होगा। राहुल की कई बातें, जैसे 'नफरत के बाजार में, मोहब्बत की दुकान', ओबीसी को पूरा हक और जातिगत जनगणना, इन्हें लोगों ने पसंद किया था।

पहले देखने को नहीं मिली ऐसी आक्रामकता ...
राहुल गांधी ने खासतौर पर, मतदान के तीसरे चरण के बाद भाजपा और पीएम मोदी पर तीखा हमला बोला था। तब कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का मानना था कि राहुल ने अपनी चुनावी रैलियों में जो आक्रामता दिखाई, वह पहले देखने को नहीं मिली थी। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष की ऐसी आक्रामकता 2019 के चुनाव में भी नहीं देखी गई। अब राहुल गांधी, अगले दिन का इंतजार नहीं करते, बल्कि सत्ता पक्ष के किसी भी आरोप का जवाब तुरंत देते हैं। इस चुनाव में भाजपा की तरफ से जो मुद्दे उठाए गए, उन्होंने भी राहुल के आत्मविश्वास को बढ़ाया है। खुद पीएम मोदी ने कई ऐसे मुद्दे उठाए हैं, जो कांग्रेस पार्टी के एजेंडे में ही नहीं रहे। पीएम मोदी ने सैम पित्रोदा के बयान को नस्लीय टिप्पणी से जोड़ दिया। इसके जवाब में राहुल ने महंगाई, नौकरी और महिलाओं के मुद्दे उठाए।

राहुल ने दिया जवाब, थोड़ा सा घबरा गए क्या ...
पीएम मोदी के इस बयान पर, चुनाव में अंबानी, अदाणी से कितना माल उठाया है, राहुल गांधी ने पलटवार किया था। एक वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा था, नमस्कार मोदी जी, थोड़ा सा घबरा गए क्या। आमतौर पर आप बंद कमरों में अदाणी और अंबानी की बात करते हो। आपने पहली बार पब्लिक में अंबानी, अदाणी बोला। आपको ये भी मालूम है कि ये टेंपो में पैसा देते हैं। निजी अनुभव है क्या। राहुल ने कहा, 'एक काम कीजिए। सीबीआई और ईडी को इनके पास भेजिए। पूरी जानकारी करिए। जांच करवाइए। जल्दी से जल्दी करवाइए। घबराइए मत मोदी जी। मैं देश को फिर दोहरा कर कह रहा हूं कि जितना पैसा नरेंद्र मोदी जी ने इनको दिया है न। उतना ही पैसा हम हिंदुस्तान के गरीबों को देने जा रहे हैं। इन्होंने 22 अरबपति बनाए हैं, हम करोड़ों लखपति बनाएंगे।'

राहुल पर किसी दबाव की स्थिति नहीं रही ...
रशीद किदवई कहते हैं, मौजूदा राजनीतिक हालात में राहुल गांधी के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। अब वे सत्ता पक्ष के किसी भी बयान का काउंटर करने में देर नहीं लगाते। मौजूदा राजनीतिक हालात के अलावा भी इसके पीछे कई दूसरी वजह हैं। राहुल ने जब से कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा है तो उन पर दबाव की स्थिति नहीं रही। अब उन पर संगठन की भी कोई जिम्मेदारी नहीं है। वे फ्री हैंड बैटिंग कर सकते हैं। राहुल गांधी अब अपनी शैली से राजनीति को देख रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा पार्ट 'वन' और 'टू' ने उनमें आशा का नया संचार किया है। उन्होंने इंडिया गठबंधन में भी अहम भूमिका निभाई। देश में कांग्रेस का वोट बैंक है, जब उन्होंने इसे प्रतिशत में काउंट किया तो आत्मविश्वास बढ़ गया। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें लगा कि हर दूसरा या तीसरा व्यक्ति, कांग्रेस के बारे में, इंडिया गठबंधन के बारे में बात करता है। इस चुनाव में उन्होंने सभी लोकसभा सीटों पर फोकस नहीं किया। चुनींदा सीटों पर बेहतर प्रदर्शन के लिए एक खास रणनीति बनाई। इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को भी मौका दिया।

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