सीट का इतिहास: यादव बाहुल्य इस सीट पर अधिकांश यादव प्रत्याशियों का ही कब्जा रहा है। लटूरी सिंह यादव के बाद उनके पुत्र अवधपाल सिंह यादव सपा और बसपा से एक-एक बार जीते। बसपा से निष्कासन के बाद हाशिये पर चले गए। जबकि रामेश्वर सिंह यादव सपा से तीन बार जीत चुके हैं। 2017 का चुनाव परिणाम बड़ा उलटफेर था। जब भाजपा की ओर से क्षत्रिय प्रत्याशी सत्यपाल सिंह राठौर ने रामेश्वर सिंह को मात दी थी। सीट पर यादव बहुलता में हैं। इसके बाद क्षत्रिय और शाक्य मतदाता बड़ी संख्या में हैं। वैश्य, ब्राह्मण आदि मतदाता विशेष प्रभाव नहीं डाल पाते हैं।
| जाति | मतदाता |
| यादव | 65 हजार |
| क्षत्रिय | 55 हजार |
| एससी | 50 हजार |
| शाक्य | 40 हजार |
| मुस्लिम | 30 हजार |
| ब्राह्मण | 25 हजार |
| लोधी | 18 हजार |
| वैश्य | 16 हजार |
बौद्ध धर्म से जुड़े गांव बिल्सड़ पुवायां और बिल्सड़ पछायां में बौद्ध धर्म से जुड़ी शिलाएं और किले हैं। जिन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संरक्षित किया है। क्षेत्र की पहचान तंबाकू की खेती और कारोबार के चलते कई प्रदेशों में है। जिले के केवल इसी भाग में गन्ना की खेती की जाती है। खानपान सामान्य है। आलू की पैदावार ज्यादा होने के कारण इसका प्रयोग भी ज्यादा होता है।
रामलीला मैदान की बाउंड्रीवाल विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा है। रामलीला मैदान पर अतिक्रमण भी कर लिया गया है।
-व्यापारियों की मांग है कि तहसील क्षेत्र में मंडी समिति की स्थापना कराई जाए। व्यापारियोंं को अभी एटा की दौड़ लगानी पड़ती है।
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