सीट का इतिहास
आजादी के बाद 1957 के पहले चुनाव में कांग्रेस के अनंतराम वर्मा विधायक बने। इसके बाद आरपीआई के अब्दुल वसीर खां ने ध्रुवीकरण के दम पर सीट जीती। 1967 में जनसंघ के इंद्रपाल सिंह विधायक बने। इसके बाद हुए दंगों के चलते जनसंघ/भाजपा प्रत्याशी से कांग्रेस की यहां सीधी टक्कर होती रही। वर्ष 1989, 1991, 1993 के चुनाव में हिंदू नेता केके नवमान विधायक बने। वर्ष 1996 में सपा के अब्दुल, वर्ष 2002 में कांग्रेस के विवेक बंसल, 2007 में सपा के जमीरउल्लाह, 2012 में सपा के जफर आलम जीते।
वर्ष 2017 में भाजपा के संजीव राजा को जीत मिली। सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील शहर में चुनाव के समय में ध्रुवीकरण ही एकमात्र मुद्दा रहता है।
| जाति | मतदाता |
| मुस्लिम | 1.40 लाख |
| वैश्य | 1.40 लाख |
| कोली | 40 हजार |
| ब्राह्मण | 35 हजार |
| दलित | 25 हजार |
| अन्य | 50 हजार |
जलभराव, गंदगी, तालाबाें पर कब्जे।
अलीगढ़ मुस्लिम विवि, ताला कारोबार, खेरेश्वर मंदिर, अलीगढ़ विवि का किला।
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