सीट का इतिहास
इस सीट का प्रदेश व देश की राजनीति में खासा महत्व है। भाजपा के कद्दावर नेता व राम मंदिर मुद्दे के अग्रणी नेताओं में शामिल रहे पूर्व सीएम कल्याण सिंह की यह पैतृक सीट है। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री सीबी गुप्ता इसी क्षेत्र के गांव बिजौली के मूल निवासी थे। वर्ष 1967 में पहली बार जनसंघ से विधायक बने कल्याण सिंह का हमेशा इस सीट पर दबदबा रहा है। 1980 में इंदिरा लहर में कांग्रेस के अनवार खां ने कल्याण सिंह को चुनाव हराया है और फिर लगातार कल्याण सिंह ही जीतते रहे। 2004 में बुलंदशहर से सांसद बनने के बाद कल्याण सिंह के इस्तीफे के बाद उनकी पुत्रवधु प्रेमलता वर्मा उपचुनाव में और फिर 2007 में विधायक बनीं। 2012 सपा के वीरेश यादव ने कल्याण सिंह परिवार से सीट को छीना। 2017 के चुनाव में फिर कल्याण सिंह के नाती संदीप विधायक और मंत्री बने।
| जाति | मतदाता |
| यादव | 75 हजार |
| लोधी | 75 हजार |
| ब्राह्मण | 35 हजार |
| जाट | 30 हजार |
| मुस्लिम | 30 हजार |
| दलित | 25 हजार |
| अन्य | 55 हजार |
दुग्ध उत्पादन बड़ा प्लांट स्थापित करने की मांग, सरकारी उद्यम, गन्ना मिल स्थापना न होना, कृषि मंडी, स्वास्थ्य और स्नातकोत्तर शिक्षा, तकनीकी शिक्षा संस्थानों का अभाव।
ऋषि अत्री की तपोस्थली, संगीत विश्वविद्यालय के संस्थापक उस्ताद अलादिया खां की जन्मभूमि।
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