बदायूं शहर विधानसभा सीट का इतिहास है कि यहां लगातार दूसरी बार कोई विधायक जीत दर्ज नहीं कर सका है। कट्टर हिंदूवादी छवि के नेता रामसेवक सिंह पटेल पूर्व में यहां से विधायक रह चुके हैं। वह भाजपा से नाराज हुईं उमा भारती की लोक जनशक्ति पार्टी से चुनाव जीते और फिर बसपा में शामिल हो गए। सपा नेता आजम खां के खास आबिद रजा ने रामसेवक को हराकर सपा के टिकट पर चुनाव जीता। उन्हें सपा सरकार में वक्फ बोर्ड चेयरमैन के रूप में राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया। 2017 में आबिद रजा को हराकर भाजपा से महेश गुप्ता बदायूं शहर विधायक बने। वह प्रदेश के नगर विकास राज्यमंत्री हैं। बदायूं सीट से श्रीकृष्ण गोयल व विमलकृष्ण अग्रवाल भी विधायक चुने जा चुके हैं, जो बाद में मंत्री बने।
कुल मतदाता :
313196
महेश चंद्र गुप्ता (भाजपा)।
राज्य सरकार में नगर विकास राज्यमंत्री हैं।
शिक्षा : हाईस्कूल
उम्र : 59
सीवर लाइन, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट जैसी मांगें काफी समय से जनता कर रही है। रोडवेज डिपो का वर्कशॉप बाहर बनने के बाद भी बसों का अनावश्यक रूप से शहर में आकर जाम लगाना बड़ी समस्या है। राजकीय मेडिकल कॉलेज सपा शासन में स्थानीय सांसद रहे धर्मेंद्र यादव ने यहां स्वीकृत कराकर बनवा दिया था। इसमें पर्याप्त स्टाफ व संसाधन न होना भी लोगों को खलता है। गंभीर रोगी या हादसों के शिकार लोगों को अब भी बेहतर इलाज के लिए बरेली और अलीगढ़ जाना पड़ता है।
बदायूं ऐतिहासिक नजरिये से काफी महत्व का शहर है। विश्व प्रसिद्ध छोटे बड़े सरकार की दरगाह है। बदायूं को सूफी संतों की सरजमीं कहा जाता है। देश की पहली व अंतिम महिला शासक रही रजिया सुल्तान बदायूं की निवासी थी। उससे पहले उसके पिता इल्तुतमिस दिल्ली के सुल्तान रहे। उन्होंने शहर में विशाल जामा मस्जिद बनवाई जो आकार व भव्यता में दिल्ली की जामा मस्जिद के बाद दूसरे नंबर पर मानी जाती है। बदायूं के पेड़े काफी मशहूर हैं।
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