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बांगरमऊ विधानसभा चुनाव 2022 परिणाम

श्रीकांत खटियार
भाजपा जीत
विधानसभा क्षेत्र श्रेणी
सामान्य
कुल निर्वाचक
-
कुल मतदान
-
मतदान प्रतिशत
-
विजेता के वोट
-
वोट प्रतिशत
--
जीत का अंतर
-
मार्जिन प्रतिशत
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बांगरमऊ विधानसभा 2022 सीट प्रत्याशी

प्रत्याशी
पार्टी
नागरिक एकता पार्टी
कांग्रेस
आजाद समाज पार्टी (काशीराम)
निर्दलीय
सोशलिस्ट पार्टी (भारत)

सीट का इतिहासः बांगरमऊ के लोगों ने सबसे ज्यादा पांच बार कांग्रेस को मौका दिया। सपा और बसपा को दो-दो बार और भाजपा को एक बार आम चुनाव और 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा को मौका दिया। 1962 में बांगरमऊ स्वतंत्र विधानसभा क्षेत्र बना। पहले चुनाव में काग्रेस के सेवकराम ने सीपीआई के मुल्ला प्रसाद को हराया। 1967 में बीजेएस के एस गोपाल ने कांग्रेस के गोपीनाथ दीक्षित को हराया। 1969 में गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस से विधायक बने। 1974 में काग्रेस को हार का सामाना करना पड़ा। बाद में 1980, 1985 और 1991 में कांग्रेस के टिकट पर गोपीनाथ दीक्षित विधायक बने। इसके बाद यहां की जनता ने कांग्रेस को तरजीह नहीं दी। 1996 और 2002 के चुनाव में बसपा और 2007 व 2012 में सपा ने कब्जा किया। बांगरमऊ की नुमाइंदगी करने वालों को तत्कालीन सरकारों ने काफी तरजीह दी। गोपीनाथ दीक्षित 1969 में गृहराज्यमंत्री बने। 1993 में अशोक सिंह बेबी स्वास्थ्य मंत्री और इसके बाद बसपा के रामशंकर पाल लघुसिंचाई मंत्री बने।

कुल मतदाता : 344849
पुरुष : 188373
महिला :156446 

जाति मतदाता
मुस्लिम 58 हजार
अन्य पिछड़ी जातियां 55 हजार
पाल 38 हजार
कुरील 34 हजार
लोध/निषाद 33 हजार
पासी 26 हजार
काछी 24 हजार
ब्राह्मण 24 हजार
यादव 20 हजार
ठाकुर 18 हजार

 

  • अपने विधायक को जानें
  • श्रीकांत कटियार (भाजपा)
  • उम्र : 70 वर्ष
  • शिक्षा : परास्नातक

(वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर कुलदीप सिंह सेंगर जीते थे। लेकिन उनपर किशोरी से दुष्कर्म का दोष साबित होने पर न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई। उनके सजायाफ्ता होने से खाली हुई सीट पर वर्ष 2020 में उपचुनाव हुआ। )

  • क्षेत्र के प्रमुख स्‍थल

नगर का राज राजेश्वरी मंदिर सबसे पुराना है। यहां की मीरा शाह की दरगाह भी प्रसिद्ध है।

  • क्षेत्र के बड़े मुद्दे

 व्यापार और विकास की दृष्टि से कभी मिनी दिल्ली के नाम से मशहूर बांगरमऊ को जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का खामियाजा झेलना पड़ा। न मंडी का विकास हुआ और न कोई मार्केट बनी जिसमें अनाज और कृषियंत्र बाजार की पहचान का दायरा बढ़ता।

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