सीट का इतिहास
चायल विधानसभा सीट तीन बार आरक्षण मुक्त हुई। एक बार ही सवर्ण उम्मीदवार को इस सीट पर कामयाबी मिली। पहले चुनाव से लेकर 2012 तक दलित व मुस्लिम उम्मीदवाराें ने ही इस सीट पर कब्जा जमाए रखा। वर्ष 2012 में सीट सामान्य हुई तो सवर्णों को एक बड़ा मौका मिला था, लेकिन जातीय समीकरण ऐसे बने कि बसपा के आसिफ जाफरी के ही हाथ बाजी लगी। 2017 में भाजपा के संजय गुप्ता को यहां से जीत मिली। चायल सीट पहले चायल नार्थ के नाम से जानी जाती थी। 1957 में हुए चुनाव में इस सीट को चायल सीट घोषित किया गया।
| जाति | मतदाता |
| दलित | 1.25 लाख |
| यादव | 60 हजार |
| पिछड़ी जाति | 60 हजार |
| मुस्लिम | 55 हजार |
| ब्राह्मण | 20 हजार |
| वैश्य | 20 हजार |
| अन्य | 25 हजार |
बाढ़, जलभराव, विकास न होना।
चरक मुनि का आश्रम, जहां वनवास के समय भगवान राम रुके थे।
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