सीट का इतिहास
यह सुरक्षित सीट रही है। बीच में कुछ वर्षों के लिए सामान्य हो गयी थी, लेकिन बाद में अनुसूचित जाति जाति के लिए फिर से सुरक्षित हो गई। विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी ,कोल ,बाहुल्य अधिकांश हिस्सा पिछड़ा है। सीट दलित वोट बैंक की राजनीति पर आधारित है। यहां से 2012 में सपा से भाईलाल कोल ने जीत दर्ज कर पहली बार सपा का खाता खोला। 2007 में बसपा से सूर्यभान, 2002 में पकौड़ी कोल बसपा से,1996 भाई लाल कोल भाजपा से जीते थे। 2017 में भाजपा अपना दल गठबंधन के प्रत्याशी राहुल प्रकाश को जीत मिली।
| जाति | मतदाता |
| दलित | एक लाख |
| पिछड़ी जाति | एक लाख |
| यादव | 40 हजार |
| ब्राह्मण | 30 हजार |
| वैश्य | 20 हजार |
| अन्य | 60 हजार |
विकास का अभाव, जर्जर सड़कें।
वन विभाग का सेंचुरी एरिया।
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