सीट का इतिहास
2012 में गंगीरी से छर्रा विधानसभा बदली। यादव बाहुल्य सीट पर 70-80 के दशक में दो यादव परिवार तिलक सिंह यादव और बाबू सिंह यादव के बीच हार जीत होती रही। बाबू सिंह यादव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे। उनके देहांत के बाद बाबू सिंह के बेटे वीरेश यादव को टिकट मिला। उनके सामने लोध नेता और कल्याण सिंह के करीबी भाजपा के डॉ. राम सिंह प्रत्याशी रहे। 1990 से लेकर 2007 तक दोनों में हार जीत होती रही। 2012 में क्षेत्र का यादव बाहुल्य इलाका अतरौली में शामिल हो गया। तब से यह सीट ठाकुर व लोध बाहुल्य हो गई। 2012 में सपा के युवा ठाकुर नेता राकेश सिंह विधायक बने। 2017 में ठाकुर नेता रवेंद्रपाल सिंह भाजपा से जीते।
| जाति | मतदाता |
| ठाकुर | 80 हजार |
| मुस्लिम | 35 हजार |
| यादव | 30 हजार |
| दलित | 30 हजार |
| लोधी | 25 हजार |
| बघेल | 20 हजार |
| ब्राह्मण | 20 हजार |
| खटीक | 20 हजार |
| वैश्य | 15 हजार |
| धोबी | 15 हजार |
| कश्यप | 15 हजार |
| जाट | 10 हजार |
| अन्य | 25 हजार |
सांकरा के गंगा खादर में विकास न होना, अधूरा पड़ा अलीगढ़-बदायूं से जोड़ने वाला पुल सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत जरूरतें।
गंगा खादर क्षेत्र, किसान मंडी।
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