सीट का इतिहास: फिरोजाबाद विधानसभा (शहर)की बात करें तो मुस्लिम एवं वैश्य बाहुल्य विधानसभा में जाटव,राठौर,शंखवार के साथ-साथ ब्राह्मण,यादव,ओझा सहित अन्य समाज के लोग काफी अच्छी संख्या में है। जिले में सर्वाधिक मतदाता वाली इस विधानसभा में कांग्रेस शासन में कांग्रेंस की लहर चली तो निर्दलीय विधायक 1957 में जगन्नाथ लहरी,1969 में श्रमिक नेता राजाराम यादव को विधायक चुना था। पूर्व मंत्री रहे रघुवर दयाल वर्मा जनता पार्टी से 1977,1985 में तथा जनता दल से 1989 व 1996 मे विधायक चुने गए। 1980 में कांग्रेस से गुलाम नवी आजाद रघुवर दयाल वर्मा को हराकर विधायक बनें थे। 1993 में सपा से शेख नसीर उद्दीन सिद्दीकी,2007 में बसपा की टिकट पाकर वे विधानसभा पहुंचे थे। 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा से अजीम भाई विधायक बनें थे। 2012 एवं 2017 के चुनाव में भाजपा के मनीष असीजा विधायक हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा को काफी बेहतर वोट मिले थे।
| जाति | मतदाता |
| मुस्लिम | 1,20 लाख |
| वैश्य | 75 हजार |
| जाटव | 45 हजार |
| राठौर | 30 हजार |
| शंखवार | 30 हजार |
| ब्राह्मण | 15 हजार |
| प्रजापति | 15 हजार |
| वाल्मीकि | 15 हजार |
| यादव | 10 हजार |
| ओझा | 10 हजार |
| नाई | 8 हजार |
फिरोजाबाद विधानसभा में प्राचीन जैन मंदिर,फिरोजशाह के मकबरे के साथ कांच की रंग-बिरंगी चूडिय़ां देश,विदेश तक में पहचान रखते है।
कांच एवं चूड़ी औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यहां श्रमिकों की समस्याएं हावी रहती हैं। हालांकि चुनाव अंतिम दौर में यहां जातिगत हो जाता है,
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