सबसे पुरानी विधानसभा सीट शहर सीट को माना जाता है। परिसीमन से पहले इस सीट के अंतिम विधायक सुनील शर्मा बने। वह 2007-12 के बीच विधायक रहे। 2012 में सुरेश बंसल (बसपा) ने मौजूदा प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग को 12 हजार मतों के अंतर से हराया। इसी सीट से 1977 में जनता दल के टिकट पर जीतकर राजेंद्र चौधरी विधायक बने जो मौजूदा वक्त में सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। इसके बाद पूर्व विधायक प्यारे लाल शर्मा के बेटे सुरेंद्र कुमार मुन्नी 1980 में विधायक बने। 1984 में कांग्रेस से केके शर्मा और फिर 1984 में कांग्रेस के टिकट पर सुरेंद्र कुमार मुन्नी विधायक चुने गए। 1991 में बालेश्वर त्यागी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते और 1993 और 1996 में बालेश्वर त्यागी विधायक चुने गए। बालेश्वर त्यागी बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय प्रदेश सरकार में गृह राज्यमंत्री थे और उसके बाद शिक्षा मंत्री भी बने। इसके बाद 2002 में सुरेश गोयल कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने लेकिन 2009 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया। जोकि चार बार के सांसद डॉ. रमेश चंद्र तोमर को हराकर सांसद चुने गए। इसके बाद खाली हुई शहरी सीट पर विधानसभा उपचुनाव हुआ। जिसमें सपा के टिकट पर सुरेंद्र कुमार मुन्नी चुनाव जीत गए। इसके बाद 2007 में सुनील शर्मा भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए जो परिसीमन के बाद 2012 में साहिबाबाद विधानसभा पर चले गए। शहर विधानसभा में जातिगत आधार पर देखा जाए तो वैश्य, ब्राह्मण, एससी और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बराबर है।
कुल मतदाता : 457980
पुरुष मतदाता : 2,37,046
महिला मतदाता : 1,87,019
| जाति | मतदाता |
| वैश्य | 75 हजार |
| मुस्लिम | 75 हजार |
| एससी | 75 हजार |
| पंजाबी | 50 हजार |
| पहाड़ी | 30 हजार |
अतुल गर्ग। (भाजपा ) राज्य सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भी हैं।
उम्र : 59
शिक्षा : ग्रेजुएट
जलभराव, ट्रैफिक जाम और अतिक्रमण बड़ी समस्या। पार्किंग की कमी और फ्री होल्ड सोसायटी में पानी व सीवर की समस्या। विजय नगर और शहर को जोड़ने वाले पुल पांच साल में भी तैयार नहीं। विजय नगर क्षेत्र में कोई सरकारी स्वास्थ्य केंद्र नहीं।
इस क्षेत्र में महाराज दुधेश्वरनाथ का प्राचीन मंदिर है। हर शिवरात्रि को पर यहां खासी भीड़ लगती है। साथ ही अंग्रेजों के समय का घंटाघर है। जवाहर गेट, सिहानीगेट, डासना गेट और दिल्ली गेट भी है, जिनके अंदर पुराना शहर बसाया गया। गाजीउद्दीन के नाम पर शहर का नाम गाजियाबाद पड़ा। यहां पर सामान्य खान-पान के तौर पर दाल सब्जी-रोटी ही पहली पसंद है।
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