सीट का इतिहास
कांग्रेस और भाजपा का गढ़ रही सीट पूर्व विधायक सुंदरलाल दीक्षित और सुरेंद्र नाथ अवस्थी पुत्तू भैया के नाम से जानी जाती थी। 2001 में मुख्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह के लिए कांग्रेस के विधायक के रुप में इस्तीफा देकर पुत्तू अवस्थी ने सीट खाली कर दी। उपचुनाव में राजनाथ सिंह भारी मतों से जीत गए। 2002 के आम चुनाव में राजनाथ सिंह फिर यहां से चुने गए। लेकिन राजनाथ सिंह के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद हुए उपचुनाव में अरविंद सिंह गोप ने पहली बार जीत कर सपा का झंडा फहराया। किन्तु 2012 में सीट आरक्षित होने के बाद सपा के राममगन और 2017 में बैजनाथ रावत ने जीत दर्ज की।
| जाति | मतदाता |
| रावत | 89 हजार |
| वर्मा | 61 हजार |
| यादव | 45 हजार |
| गौतम | 33 हजार |
| ब्राह्मण | 35 हजार |
| ठाकुर | 20 हजार |
| दलित | 15 हजार |
| अन्य | 35 हजार |
सिंचाई और गन्ना समस्याएं, परिवहन संसाधनों का अभाव।
औशानेश्वर महादेव मंदिर, पूरेदेवी दास धाम, सिद्देश्वर महादेव मंदिर सिद्धौर, शिवनाम जोगीनी शिव मंदिर, कारेदेव बाबा मंदिर, कालिका देवी मंदिर, नील कंठेश्वर महादेव मंदिर, बीबीपुर देवी मंदिर।
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