सीट का इतिहासः इस जनपद में 2008 से पूर्व तीन सीटें थीं। 2008 में मौदहा विधानसभा सीट यहां से खत्म कर दी गई। इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता आधे हमीरपुर और आधे राठ विधानसभा क्षेत्र में शामिल कर दिए गए। विधानसभा क्षेत्र में सवर्ण, मुस्लिम मतदाताओं के अलावा पिछड़ी जातियों में निषाद, प्रजापति बिरादरियों का मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अब तक दो बार उपचुनाव हो चुके हैं। इनमें छह बार कांग्रेस, जनता पार्टी से एक, निर्दलीय से एक, बसपा से तीन, जनता दल से एक, सपा से दो व भाजपा से तीन बार विधायक चुने गए हैं। हमीरपुर सदर विधानसभा से कांग्रेस के सुरेंद्र दत्त बाजपेयी तीन बार विधायक रहे। कांग्रेस से ही प्रताप नारायण द्विवेदी दो बार विधायक रहे। वर्ष 1989 के चुनाव में अशोक चंदेल निर्दलीय विधायक चुने गए। बसपा के शिवचरन प्रजापति 1991, 1996, 2002 व 2015 में हुए उप चुनाव में सपा से जीते। 2017 में अशोक चंदेल भाजपा से जीते। 2019 उपचुनाव में भाजपा से युवराज सिंह ने जीत हासिल की।
| जाति | मतदाता |
| ब्राह्मण | 50 हजार |
| ठाकुर | 40 हजार |
| निषाद | 40 हजार |
| प्रजापति | 30 हजार |
| अहिरवार | 28 हजार |
| मुस्लिम | 24 हजार |
| यादव | 20 हजार |
शहर का कल्पवृक्ष, संगमहेश्वर धार्मिक स्थल, खंडेह के रामजानकी मंदिर यहां के प्रमुख स्थल हैं।
खदानों से निकलने वाली मौरंग के ओवर लोड ट्रकों से बदहाल सड़कें हमेशा परेशानी का सबब बनी रहती है। शहरों में अतिक्रमण मुख्य समस्या है। चिकित्सकों के अभाव में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।
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