सीट का इतिहास
हापुड़ विधानसभा सीट का सृजन 1956 में हुआ था। परांपरागत रूप से यह सीट कांग्रेस के पास रही। कांग्रेस के गजराज सिंह सबसे अधिक चार बार विधायक रहे। 1991 में बिजेंद्र कुमार ने दो बार के कांग्रेस विधायक गजराज सिंह को हराया था। इसके बाद 1993 में मध्यावधि चुनाव के बाद कांग्रेस ने फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया। 1996 में हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के जय प्रकाश विधायक बने। 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बाद बसपा के धर्मपाल सिंह लगातार दो बार विधायक रहे।
| जाति | मतदाता |
| दलित | एक लाख 40 हजार |
| मुस्लिम | 85 हजार |
| जाट | 46 हजार |
| वैश्य | 35 हजार |
| ब्राह्मण | 28 हजार |
| अन्य | 17 हजार |
किसानों का गन्ना भुगतान, लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव न होना, चमड़े और बर्तनों के कारोबार को बढ़ावा न मिलना, हापुड़ जिले का सीमा विस्तार।
पापड़, गुड मंडी, एफसीआई, चैबंर ऑफ कामर्स, कनिया फार्म हाउस, बदनौली में 765 केवीए का सब स्टेशन, प्राचीन चंडी मंदिर, छपकौली मंदिर, संस्कृत विद्यालय।
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