सीट का इतिहासः इसौली विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2007 के चुनाव तक दो मौकों को छोड़कर पारिवारिक रहा। वर्ष 1989 में जनतादल से इंद्रभद्र सिंह विधायक चुने गए। वर्ष 1991 की राम लहर में भाजपा से ओमप्रकाश पांडेय विजयी हुए थे। वर्ष 1993 के चुनाव में सपा से फिर इंद्रभद्र सिंह चुने गए। इसके बाद वर्ष 1996 के चुनाव में बसपा से जयनारायण तिवारी विधायक बने। इस बीच इंद्रभद्र सिंह की हत्या के बाद वर्ष 2002 व वर्ष 2007 के आमचुनाव में उनके बड़े पुत्र चंद्रभद्र सिंह सोनू विधायक रहे। इस सीट पर कम्युनिष्ट, कांग्रेस, बसपा, सपा व भाजपा के प्रत्याशी विजयी होते रहे हैं। क्षेत्र में कभी बड़ा उलटफेर नहीं हुआ है। क्षेत्र में सवर्ण, अनुसूचित जाति के अलावा पिछड़ी जातियों में कुर्मी, पाल, यादव और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा से अबरार अहमद से चुनाव जीते तो वर्ष 2017 के चुनाव में भी उनका कब्जा सीट पर बरकरार है।
| जाति | मतदाता |
| अनुसूचित जाति | 74,643 |
| मुस्लिम | 71,027 |
| ब्राह्मण | 67,858 |
| क्षत्रिय | 47,500 |
| यादव | 40,714 |
| अन्य | 39, 093 |
| कुर्मी | 10,178 |
इस विधानसभा क्षेत्र का कोई खास प्रमुख स्थल नहीं है। इस क्षेत्र में हसनपुर रियासत काफी मशहूर रही। रियासत का भवन आजादी के दीवानों का केंद्र हुआ करता था। यहां के रजवाड़ों से स्वयं अंग्रेजी सैनिकों से लोहा लिया था। देसी सैनिकों की अगुवाई भी की थी। कुड़वार के पास स्थित गढ़ा का जिक्र इतिहासों में मिलता है।यहां चीनी यात्री ह्वेन सांग भी एक बार आया था। इसे बौद्ध धर्म से जोड़कर देखा जाता है। बौद्धकालीन कुछ स्तंभ भी हैं। सामान्य रहन-सहन वाले लोगों का क्षेत्र का मुख्य व्यवसाय कृषि है। इस क्षेत्र से लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन है।
क्षेत्र की बदहाल सड़कें और रोडवेज बसों का अनवरत संचालन न होना प्रमुख मुद्दा है।
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