सीट का इतिहासः शुरुआती दौर इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन 1989 से ये सीट भाजपा की परंपरागत सीटों में शुमार हो गई। रवींद्र शुक्ल ने लगातार चार बार यहां से जीत दर्ज की। दो बार कांग्रेस व दो बार बसपा यहां से चुनाव जीतने में सफल रही। सपा का इस सीट पर अब तक खाता भी नहीं खुल पाया है। 2017 यह सीट भाजपा की झोली में गई। भाजपा के रवि शर्मा यहां से विधायक सीट पर जीत दर्ज करवाई।
| जाति | मतदाता |
| ब्राह्मण | 80,000 |
| दलित | 70,000 |
| मुस्लिम | 60,000 |
| कुशवाहा | 60,000 |
| साहू | 50,000 |
| वैश्य | 30,000 |
| अन्य | 30,000 |
| यादव | 20,000 |
पर्यटन के असीम अवसर होने के बाद भी झांसी पर्यटक स्थल के रूप में पहचान नहीं बन पाई। हवाई अड्डे का निर्माण पिछले दो दशक से मुद्दा बना है। रोजगार के अवसरों का अभाव भी क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है।
झांसी विधानसभा क्षेत्र की पहचान वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई और हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद से है।
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