सीट का इतिहास
पूर्व सांसद स्व. हुकुम सिंह एवं मुनव्वर हसन के पिता अख्तर हसन के प्रभाव वाली सीट रही है। कैराना की राजनीति पर इन्हीं दोनों परिवारों का कब्जा रहा है। गुर्जर समुदाय के हुकुम सिंह कांग्रेस, जनता पार्टी और भाजपा से सात बार विधायक रहे। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद 2014 में भाजपा से सांसद चुने गए। उपचुनाव में उनकी पुत्री मृगांका को पूर्व सांसद मुनव्वर हसन के पुत्र नाहिद हसन ने हरा दिया। कैराना सीट पर बाबू हुकुम सिंह के अलावा मुनव्वर हसन के परिवार का भी दबदबा रहा। मुनव्वर हसन ने 44 साल की उम्र में चारों सदन- राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद का प्रतिनिधित्व किया। दोनों परिवारों के बीच इस सीट पर उठा-पटक चलती रही है। वर्तमान में मुनव्वर हसन के पुत्र नाहिद हसन सपा से विधायक हैं।
| जाति | मतदाता |
| मुस्लिम | 90 हजार |
| जाट | 80 हजार |
| गुर्जर | 70 हजार |
| ब्राह्मण | 30 हजार |
| यादव | 20 हजार |
| अन्य | 10 हजार |
सांप्रदायिक दंगे, पलायन, बेरोजगारी।
भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए प्रसिद्घ किराना घराना कैराना का ही है। उस्ताद अब्दुल करीम खां का जन्म स्थान। मशहूर शायर मुजफ्फर रज्मी का जन्म स्थान।
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