सीट का इतिहास: परंपरागत रूप से इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर रामेश्वर दयाल बाल्मीकि से लेकर संध्या कठेरिया भी सपा से ही विधायक रहीं हैं। अधिकांश विधायकों ने यहां दो से तीन कार्यकाल पूरे किए। किसी विधायक बृजेश कठेरिया भी लगातार दो बार यहां से विधायक चुने जा चुके हैं। अनुसूचित जाति बाहुल्य ये सीट हमेशा से ही सपा के खाते में ही रही है। बीते चुनाव में बसपा प्रत्याशी कमलेश कुमारी को विधायक बृजेश कठेरिया ने हराया था।
| जाति | मतदाता |
| क्षत्रिय | 42 हजार |
| एससी | 42 हजार |
| यादव | 40 हजार |
| शाक्य | 30 हजार |
| मुस्लिम | 18 हजार |
| ब्राह्मण | 14 हजार |
| लोधी | 12 हजार |
| वैश्य | 9 हजार |
किशनी क्षेत्र में समान पक्षी विहार प्रमुख स्थल है। साढ़े पांच सौ हेक्टेयर में फैला ये पक्षी विहार दो साल पहले रामसर साइट में भी शामिल हो चुका है। हालांकि अब तक इसके विकास के लिए खास कदम नहीं उठाए जा सके।
मूलभूत सुविधाएं ही किशनी विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा हैं। गांवों में आज भी पिछड़ेपन से लोग जूझ रहे हैं। कच्ची गलियां आज भी लोगों की जिंदगी बनी हुई हैं। वहीं स्वास्थ्य सेवाएं भी इस क्षेत्र में बदहाल हैं। बरेली-ग्वालियर राजमार्ग से जुड़ा होने के बाद भी किशनी में विकास का पहिया तेजी से नहीं घूम सका।
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