सीट का इतिहासः सदर विधानसभा सीट पारिवारिक नहीं हैं। 1989 से 1996 तक चार विधानसभा चुनावों में भाजपा से अरविंद कुमार लगातार विधायक चुने गए। 2002 में कांग्रेस से बीरेंद्र सिंह बुंदेला चुनाव जीते और 2007 में बसपा से इंजीनियर नाथूराम कुशवाह विधायक बने। करीब तीन साल बाद नाथूराम के निधन होने पर उपचुनाव में इनकी पत्नी सुमन कुशवाह चुनी गई। 2012 में बसपा से रमेश चंद्र कुशवाह और 2017 में भाजपा के रामरतन कुशवाह विधायक चुने गए। इस सीट पर कांग्रेस, बसपा व भाजपा के अलावा 1974 में सीपीआई और 1977 में जेएनपी से विधायक चुना गया।
| जाति | मतदाता |
| यादव | 44,000 |
| ब्राह्मण | 23,000 |
| मुस्लिम | 21,000 |
| सहरिया (आदिवासी) | 19,000 |
| ठाकुर | 18,000 |
| बंशकार | 18,000 |
| जैन | 17,000 |
| पाल | 13,000 |
| कुर्मी | 3,000 |
देवा माता, तालबेहट स्थित माताटीला डैम, हजारिया महादेव मंदिर, तुवन मंदिर
जिले का बड़ा मुद्दा यातायात के साधन कम होना और खस्ताहाल सड़कें लोगों की परेशानी का सबब हैं। अतिक्रमण भी मुख्य समस्या है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।
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