सीट का इतिहासः लंभुआ विधानसभा क्षेत्र भी कभी पारिवारिक नहीं रहा। विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस, बसपा, सपा व भाजपा के प्रत्याशी विजयी होते रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र में कभी बड़ा उलटफेर भी नहीं हुआ है। क्षेत्र में सवर्ण, अनुसूचित जाति के अलावा पिछड़ी जातियों में कुर्मी, पाल, यादव, निषाद और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में आईआरएस अधिकारी देवमणि द्विवेदी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद भाजपा से चुनाव में उतरे और विजयी हुए हैं। इसके पहले वे रेल विभाग में सेवा दे रहे थे। उनके पिता अध्यापक रहे। इसके पहले वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में यह सीट समाजवादी पार्टी के पास रही और सपा से संतोष पांडेय विधायक रहे। वर्ष 2007 में इस सीट पर बसपा से मैदान में उतरे विनोद सिंह विधायक चुने गए थे। वे बसपा सरकार में स्वतंत्र प्रभार पर्यटन मंत्री रहे।
| जाति | मतदाता |
| अनुसूचित जाति | 80,278 |
| ब्राह्मण | 76,787 |
| अन्य | 50,366 |
| यादव | 42,027 |
| क्षत्रिय | 41,884 |
| मुस्लिम | 38,393 |
| कुर्मी | 31,413 |
विधानसभा क्षेत्र का जनवारीनाथ धाम काफी मशहूर है। जिले भर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शंकरजी का दर्शन करने आते हैं। शनिवार व श्रवाण मास में धाम पर मेला लगता है। ऐतिहासिक के रूप में चांदा व भदैंया क्षेत्र आजादी की लड़ाई के लिए जाना जाता है। गजेटियर में भी इसका उल्लेख मिलता है। दोनों क्षेत्रों में अंग्रेजी सैनिकों से क्रांतिकारियों ने लोहा लिया था। सामान्य रहन-सहन वाले लोगों का क्षेत्र का मुख्य व्यवसाय कृषि है। इस क्षेत्र से लखनऊ-वाराणसी फोरलेन निर्माणाधीन है।
क्षेत्र की बदहाल सड़कें।
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