सीट का इतिहास
पूर्व में यह सीट नत्थूपुर विधानसभा क्षेत्र के नाम से थी। 10 साल पहले परिसीमन में नाम बदलकर मधुबन कर दिया गया। वर्तमान में यहां के विधायक कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान हैं। इस सीट पर दो बार बसपा से उमेश पांडेय, एक बार बसपा से ही कपिलदेव यादव, सपा से सुधाकर सिंह, कांग्रेस से अमरेश पांडेय, रमाशंकर पांडेय चुनाव जीतते रहे। सपा और बसपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है। पहली बार भाजपा को जीत मिली है।
| जाति | मतदाता |
| दलित | 70 हजार |
| यादव | 60 हजार |
| क्षत्रिय | 36 हजार |
| राजभर | 25 हजार |
| मुस्लिम | 22 हजार |
| वैश्य | 20 हजार |
| कुर्मी पटेल | 20 हजार |
| ब्राह्मण | 16 हजार |
| भूमिहार | 12 हजार |
| विश्वकर्मा | चार हजार |
| धोबी | चार हजार |
| अन्य | 10 हजार |
विकास न होना, जातिवाद, बाढ़, जलभराव की समस्या।
अंग्रेजों के कुशासन से मुक्ति पाने के लिए मधुबन के क्रांतिकारियों ने मधुबन थाने पर तिरंगा फहरा दिया था। गुस्साए तत्कालीन कलेक्टर निबलेट ने अंधाधुंध फायरिंग करा दी थी। गोली कांड में 13 क्रांतिकारी शहीद हो गए थे। शहीदों के सम्मान में कटघरा शंकर के पास शहीद स्मारक बने हैं। मधुबन मऊ मार्ग को शहीद मार्ग से जाना जाता है।
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