सीट का इतिहास: सदर सीट पर पुराने समय में जहां भाजपा का कब्जा रहा है तो वहीं लगातार दो कार्यकाल से यहां सपा काबिज है। इस सीट पर दो बार भाजपा नेता अशोक चौहान, एक बार मलिखान सिंह राठौर और उनके पुत्र नरेंद्र सिंह राठौर विधायक चुने गए। वर्ष 2012 में सपा प्रत्याशी राजकुमार यादव ने भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक अशोक चौहान को हराकर सीट पर जीत हासिल की। 2017 के चुनाव में भी राजकुमार यादव से अशोक चौहान को शिकस्त मिली। क्षत्रिय और यादव बहुल सदर सीट पर हमेशा दोनों ही जातियों के वोट निर्णायक साबित होते रहे हैं।
| जाति | मतदाता |
| क्षत्रिय | 50 हजार |
| यादव | 50 हजार |
| ब्राह्मण | 28 हजार |
| वैश्य | 26 हजार |
| लोधी | 25 हजार |
| शाक्य | 23 हजार |
| एससी | 21 हजार |
| मुस्लिम | 20 हजार |
मैनपुरी को ऋषियों की तपोभूमि कहा जाता है, इसलिए यहां पौराणिक स्थल अधिक हैं। इसमें शहर के एक किनारे पर स्थित शीतला माता मंदिर हो या फिर दूसरे किनारे पर स्थित भगवान शिव का भीमसेन महाराज मंदिर। इसके अलावा महाराजा तेजसिंह का किला भी शहर के बीचों-बीच एतिहासिक है। मैनपुरी में की जाने वाली हस्तशिल्पकला तारकशी पूरे देश में प्रसिद्घ है।
सदर सीट होने के बाद भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होना सबसे बड़ा मुद्दा हैं। कैंसर यूनिट बंद पड़ी हुई है तो वहीं आज तक सौ शैया अस्पताल और जिलाा अस्पताल में चिकित्सकों के पदों पर तैनाती नहीं हो सकी है।
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