राजधानी से सटी इस विधानसभा सीट पर वर्ष 1951 से 1991 तक कांग्रेस व जनता दल का कब्जा रहा। वर्ष 1993 में सपा-बसपा गठबंधन से गौरी शंकर विधायक हुए। 1996 में सपा के टिकट पर गौरीशंकर दूसरी बार विधायक बने। वर्ष 2002 के चुनाव में कौशल किशोर निर्दलीय चुनाव जीते। वर्ष 2007 के चुनाव में गौरी शंकर सपा के टिकट पर फिर से विधायक हुए तथा उनके आकस्मिक निधन के बाद हुए उपचुनाव में बसपा के टिकट पर उनके बेटे सिद्धार्थ शंकर जीते। वर्ष 2012 में यह सीट फिर से सपा के कब्जे में चली गई और इंदल कुमार रावत विधायक बने। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं जय देवी कौशल ने सपा की राजबाला रावत को हरा दिया।
कुल मतदाता : 352857
महिला : 163325
पुरुष : 189532
| जाति | मतदाता |
| एससी | 1.75 लाख |
| मुस्लिम | 55 हजार |
| यादव | 40 हजार |
| मौर्य | 40 हजार |
| क्षत्रिय | 20 हजार |
| ब्राह्मण | 10 हजार |
| वैश्व | 10 हजार |
जय देवी कौशल (भाजपा)
उम्र :52
शिक्षा: शिक्षित
पति मोहनलालगंज लोकसभा सीट से सांसद तथा वर्तमान में केंद्रीय राज्यमंत्री हैं।
फलपट्टी के रूप में जानी जाने वाली इस विधानसभा क्षेत्र में यहां के बागवानों के लिए कोई सुविधाएं नहीं हैं। बागवान हर वर्ष नकली दवाओं व दैवी आपदा की मार झेलता है। इसकी वजह से उसकी अर्थ व्यवस्था चरमा जाती है। इससे उबारने के लिए उसे कोई सरकारी सहायता नहीं मिल पाती।
काकोरी शहीद स्मारक, केंद्रीय उप्पोषण बागवानी संस्थान, बराह देवी मंदिर।
Followed