सीट का इतिहास
कौशांबी जिले की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। इस सीट को बसपा का अभेद्य दुर्ग माना जाता रहा है। यहां से बसपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व कबीना मंत्री इंद्रजीत सरोज तीन बार जीत चुके हैं। वर्ष 2017 में भाजपा के लाल बहादुर ने उनको हराया। यहां हमेशा पार्टी के नाम पर चुनाव हुआ।
| जाति | मतदाता |
| दलित | 80 हजार |
| पासी | 50 हजार |
| धोबी | 50 हजार |
| ब्राह्मण | 30 हजार |
| मौर्य | 30 हजार |
| यादव | 20 हजार |
| पटेल | 20 हजार |
| अन्य | 80 हजार |
जलभराव, किसानों की समस्याएं।
जैन बौद्घ नगरी के नाम से जाती है। जैन धर्म के छठवें तीर्थंकर पदम प्रभु ने यहीं तप किया था। तथागत बुद्घ ने यहीं दीक्षा दी थी। सोलह महाजनपदों में कौशाम्बी राजा उदयन की राजधानी थी।
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