सीट का इतिहास: पूर्व में यह सीट निधौली कलां नाम से थी। 2007 तक अस्तित्व में रही। 2008 में कासगंज विभाजन और परिसीमन के बाद इसे मारहरा विधानसभा क्षेत्र का नाम दिया गया। यहां अनिल कुमार सिंह यादव पहले कांग्रेस और बाद में सपा से दो बार चुनकर आए। 2012 में उनकी विरासत पुत्र अमित गौरव यादव ने संभाली। 2017 में वह भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह लोधी से पराजित हो गए। सीट का इतिहास काफी रोचक रहा है। इस सीट ने दो मुख्यमंत्री दिए हैं। 1977 में रामनरेश यादव और 1993 में मुलायम सिंह यादव इस सीट पर लड़े और जीते। किसी एक पार्टी और परिवार का इस सीट पर दबदबा नहीं रहा है। बसपा को छोड़ अन्य सभी दलों के प्रत्याशी जीते हैं।
| जाति | मतदाता |
| लोधी | 65 हजार |
| यादव | 55 हजार |
| एससी | 55 हजार |
| क्षत्रिय | 21 हजार |
| ब्राह्मण | 20 हजार |
| मुस्लिम | 13 हजार |
| वैश्य | 11 हजार |
जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर एतिहासिक बौद्ध स्मारक अतिरंजी खेड़ा स्थित है। यहां देश-विदेश से बौद्ध भिक्षु आते हैं। वहीं मारहरा कस्बा में विश्वप्रसिद्ध खानकाहे बरकातिया स्थित है। जहां होने वाले उर्सों में विदेश तक के लोग बड़ी संख्या में शामिल होने आते हैं। खानपान सामान्य है। प्रमुख रूप से गेहूं की अलावा यहां बागवानी भी की जाती है। आम, अमरूद और बेर कई मंडियों में भेजे जाते हैं।।
अतरंजी खेड़ा को बौद्ध तीर्थस्थल के रूप में विकसित किए जाने की मांग।
क्षेत्र का पिछड़ापन, सड़कें, पानी इस विधानसभा क्षेत्र की बड़ी समस्याएं हैं। पिछला विधानसभा चुनाव इन्ही मुद्दों पर लड़ा गया। हालांकि स्थिति जस की तस बनी हुईं हैं।
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