सीट का इतिहासः भगवान श्रीकृष्ण की जन्म और लीला भूमि मथुरा-वृंदावन शहरी क्षेत्र से जुड़ी इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशियों को आपातकाल और अयोध्या जैसे बड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर ही मात मिली है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गर्दिश के दौर में सीट आगरा मंडल में कांग्रेस को इकलौता प्रतिनिधित्व देने वाली भी रही है। 2014 के बाद देश में चली मोदी लहर में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा किया है। यह विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य है। इसके बाद यहां वैश्य मतदाताओं की संख्या रहती है। तीसरी बड़ी संख्या अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाताओं के रूप में है। यही कारण है कि अधिकांश राजनीतिक दल मथुरा शहरी सीट पर ब्राह्मण और वैश्य उम्मीदवारों पर दांव लगाते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप माथुर का जातिगत वोट बैंक कायस्थ नगन्य होने के बाद भी वे यहां से तीन बार लगातार निर्वाचित हुए हैं। 2017 में यहां श्रीकांत शर्मा भाजपा से विजयी हुए। वर्तमान में प्रदेश सरकार में ऊर्जामंत्री के साथ सरकार के प्रवक्ता भी हैं।
| जाति | मतदाता |
| वैश्य | 1.4 लाख |
| जाट | 1.1 लाख |
| लौधे | 40 हजार |
| मुसलमान | 35 हजार |
| सैनी | 35 हजार |
यहां देश ही नहीं विदेशी श्रद्धालुओं का आगमन होता है। अनेक धार्मिक उत्सव यहां वर्ष भर मनाए जाते हैं। यह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। अनेक मंदिर और एतिहासिक स्थल यहां मौजूद हैं। यहां के लोगों के समक्ष स्वच्छ यमुना, अच्छी सड़कें, मेट्रो सिटी की तर्ज पर धार्मिक नगरी मथुरा का विकास बड़े मुददे रहते हैं।
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