सीट का इतिहासः महरौनी विधानसभा सीट पारिवारिक नहीं है। इस विधानसभा क्षेत्र में हुए अब तक 16 चुनावों में छह बार कांग्रेस का विधायक चुना गया। 2002 में इस सीट पर भाजपा के पूरन सिंह बुंदेला विधायक चुने गए थे। लेकिन 2007 में बसपा के पं. रामकुमार तिवारी चुनाव जीते। वर्ष 2012 में सीट आरक्षित होने पर बसपा के फेरन लाल विजयी हुए और 2017 में भाजपा के मनोहर लाल पंथ ने एतिहासिक जीत दर्ज कराई थी। वह अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से करीब एक लाख से अधिक मतों से विजयी हुए थे। इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और बसपा प्रत्याशी की जीत हुई। वहीं 1967 व 1974 में बीजेएस और 1977 में जेएनपी का विधायक चुना गया। सपा से अब तक किसी को सफलता नहीं मिली। इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण,ठाकुर,अहिरवार,आदिवासी मतदाताओं के अलावा पिछड़ी जातियों में कुर्मी, पाल, यादव और लोधी मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
| जाति | मतदाता |
| अहिरवार | 67,000 |
| कुशवाह | 54,000 |
| यादव | 41,000 |
| लोधी | 35,000 |
| ब्राह्मण | 27,000 |
| कुर्मी | 25,000 |
| ठाकुर | 24,000 |
| सहरिया(आदिवासी) | 16,000 |
| पाल | 14,000 |
| बंशकार | 14,000 |
| जैन समाज | 8,000 |
| मुस्लिम | 4,000 |
इस क्षेत्र में बेतवा नदी के किनारे स्थित रणछोर धाम, मुचकुंद गुफा(धौर्रा), पाली स्थित नीलकंठेश्वर, पांडुवन, देवगढ़ श्रीशांतिनाथ व महावीर स्वामी मंदिर, दस अवतार मंदिर,अमझरा धाटी स्थित हनुमान मंदिर प्रमुख स्थल है। इन स्थानों पर मध्यप्रदेश के सागर, ग्वालियर, झांसी आदि जनपदों को श्रद्धालु आते हैं। देवगढ़ में विदेशों से भी लोग आते हैं।
यहां पर यातायात के साधन कम होना और खस्ताहाल सड़कें लोगों की परेशानी का सबब हैं। अतिक्रमण भी मुख्य समस्या है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।
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