सीट का इतिहास
इस सीट पर लंबे समय तक भाकपा के प्रत्याशी को जीत मिली। यहां से प्रदेश भर की वामपंथी सियासत संचालित होती थी। भाकपा के मित्रसेन यादव चार बार यहां से विधायक रहे। बाद में वे सपा में शामिल हो गए। मित्रसेन यादव के अलग होने के बाद भाकपा यहां से कोई भी उम्मीदवार तक नहीं उतार सकी। सीट पर कांग्रेस को तीन, जनसंघ को एक, सीपआई को चार, भाजपा को दो, सपा को तीन और बसपा को एक बार सफलता मिली। बाद में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो गई। 2017 में भाजपा के गोरखनाथ बाबा ने सपा के अवधेश प्रसाद को हराया।
| जाति | मतदाता |
| ब्राह्मण | 60 हजार |
| यादव | 55 हजार |
| पासी | 55 हजार |
| मुस्लिम | 30 हजार |
| ठाकुर | 25 हजार |
| दलित | 25 हजार |
| कोरी | 20 हजार |
| चौरसिया | 18 हजार |
| वैश्य | 12 हजार |
| पाल | सात हजार |
| मौर्य | पांच हजार |
| अन्य | 28 हजार |
बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई आदि का अभाव।
आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, सब्जी और गन्ना का क्षेत्र।
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