ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र को मिलकर बनी इस विधानसभा सीट पर 15 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र की। जबकि शेष आबादी ग्रामीण क्षेत्र ही। बागपत लोकसभा सीट के अधीन आने वाली इस विधानसभा लंबे समय तक भाजपा का कब्जा रहा है। 1980 से दो बार कांग्रेस, दो बार जनता दल, चार बार भाजपा और एक-एक बार रालोद और बसपा के कब्जा में सीट गई है। भाजपा के नरेंद्र सिंह सिसौदिया सबसे अधिक तीन बार विधायक रहे। 1993 से 2007 तक लगातार विधायक रहे। इसके बाद 2007 में बसपा से मास्टर राजपाल सिंह और 2012 में रालोद से सुरेश शर्मा और उसके बाद 2017 डॉ. मंजू सिवाच भाजपा के टिकट पर जीतीं। वहीं सुखबीर सिंह गहलौत भी इस सीट से तीन बार विधायक रहे। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। फिर 1989 और 1991 में जनता दल के टिकट पर विधायक चुने गए। गाजियाबाद की किसी विधानसभा सीट से 32 वर्ष के बाद 2017 में विधायक बनने वाली डॉ. मंजू पहली महिला बनीं। इससे पूर्व 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विमला सिंह विधायक बनीं थी। महिला रोग विशेषज्ञ के तौर पर पहचान बनाने वाली डॉ. मंजू के पति डॉ. देवेंद्र सिवाच भी सर्जन हैं। डॉ. सिवाच वर्ष 2012 में भाजपा के टिकट पर नगर पालिका का चुनाव भी लड़ीं लेकिन उसमें हार का सामना करना पड़ा।
कुल मतदाता : 323928
पुरुष मतदाता : 1,81,276
महिला मतदाता : 1,52,076
| जाति | मतदाता |
| एससी | 60 हजार |
| जाट | 55 हजार |
| मुस्लिम | 55 हजार |
| वैश्य | 35 हजार |
| त्यागी | 25 हजार |
| ब्राह्मण | 20 हजार |
| गुर्जर | 15 हजार |
| ठाकुर | 15 हजार |
डॉ.मंजू सिवाच (भाजपा)। पेशे से डॉक्टर मंजू सिवाच स्थानीय स्तर पर अपने अस्पताल चलाती हैं।
उम्र : 55
शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट (एमएस)
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे में जमीन देने वाले किसानों को समान मुआवजा। किसानों का गन्ना बकाया भुगतान। इसके साथ ही नगरीय क्षेत्र में सड़क, पानी की समस्या और पाइप लाइन ड़लने के बाद टूटी सड़कें के अलावा शहरी क्षेत्र में शामिल व सटे हुए गांवों में सड़क, सीवर व पेयजल आपूर्ति।
मुगलकाल में 573 एकड़ क्षेत्र का एक गांव बेगमाबाद कहलाता था। जिसे नवाब जफर अली ने बसाया। लेकिन उसने दिल्ली की शाही बेगम को सम्मान देने के लिए इसका नाम बेगमाबाद रखा। 1945 तक मोदीनगर, टाउन एरिया था, मगर 1963 में इसे नोटीफाइड एरिया बना दिया गया। वर्तमान में अब यह तहसील है। 19वीं शताब्दी में रानी वालाबाई सिंधिया द्वारा निर्मित एक मंदिर अभी यहां है। मोदीनगर की स्थापना 1933 में उद्योगपति गुजरमल मोदी ने की। तब इसका नाम बदल कर मोदीनगर कर दिया गया। लक्ष्मी-नारायण मन्दिर, मोदी उद्यान, शीतला देवी मन्दिर, मोदी भवन यहां के विशेष दर्शनीय है। सीकरी माता का मंदिर भी यहां पर है। जहां पर अंग्रेजों ने बरगद के पेड़ पर लटाकर 132 लोगों को फांसी दी थी। यहां प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल में सीकरी में मेला लगता है जिसमें खच्चर बिकने आते हैं।
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