सीट का इतिहास
1951 में रामअवध सिंह कांग्रेस से यहां के पहले विधायक बने। बाद में पूर्वांचल में बाहुबली नेता वीरेंद्र शाही विधायक बने। 1989 में पहली बार कांग्रेस से अमरमणि त्रिपाठी विधायक बने, लेकिन 1991 में अखिलेश सिंह ने जनता पार्टी से उन्हें शिकस्त दी और लगातार दो बार विधायक बने। मधुमिता ला हत्याकांड के आरोपी अमरमणि त्रिपाठी ने जेल में रहते हुए चुनाव जीते। 2012 में कांग्रेस से कौशल सिंह जीते। इसके बाद 2017 भाजपा की लहर में जेल में रहते हुए सारा हत्याकांड के आरोपी अमनमणि त्रिपाठी निर्दलीय विधायक बने। यहां कुंवर बंधु और मणि परिवार के नाम पर ही चुनाव होते हैं।
| जाति | मतदाता |
| ब्राह्मण | एक लाख |
| मुस्लिम | 90 हजार |
| दलित | 90 हजार |
| यादव | 40 हजार |
| अन्य | 39 हजार |
सड़क, बिजली, पानी और बाढ़ की समस्या।
भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सोनौली सीमा, भगवान बुद्ध की ननिहाल देवदह, ट्राम्बे रेल परियोजना।
Followed