सीट का इतिहास
सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 2012 में बनी इस सीट से पहली बार बसपा से सुनील कुमार यादव ने चुनाव जीता था। वर्ष 2017 में भाजपा के संजीव गोंड़ जीते। यहां अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटों की बहुलता के चलते सभी दलों का ध्यान इन वोटों पर ही रहता है। गैर जनजातीय वोट निर्णायक की भूमिका निभाते हैं।
| जाति | मतदाता |
| यादव | 32 हजार |
| विश्वकर्मा | 30 हजार |
| खरवार | 24 हजार |
| अनुसूचित जनजाति | 20 हजार |
| वैश्व | 20 हजार |
| कोल | 19 हजार |
| ब्राह्मण | 15 हजार |
| दलित | 15 हजार |
| वैसवार | 12 हजार |
| गुर्जर यादव | आठ हजार |
| अन्य | 50 हजार |
क्रशर व खनन क्षेत्रों से होने वाला प्रदूषण, वनवासी इलाकों में पेयजल, शिक्षा और रोजगार, बिजली, स्वास्थ्य, सड़क, संचार, परिवहन संसाधनों का अभाव।
प्रदेश की सबसे पुरानी तापीय परियोजना, जल विद्युत परियोजनाएं, सलखन का फासिल्स पार्क, अगोरी का किला, सोन, रेणु और विजुल नदी का संगम, कुड़ारी देवी और सोमनाथ मंदिर, अबाड़ी पिकनिक स्पॉट
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