वामपंथियों का गढ़ था। सीपीआई के उदल लगातार नौ बार के विधायक रहे। कांग्रेस के अजय राय लगातार पांच बार विधायक रहे। 2012 में नए परिसीमन के बाद यह विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। पहले कोलअसला विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। अजय राय पहले भाजपा में थे। बाद में वे कांग्रेस में चले गए । 2017 के चुनाव में विकास और मोदी लहर में भाजपा के डॉ. अवधेश सिंह विजयी हुए। अवधेश सिंह महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अध्यापक हैं। विधानसभा की पहचान बाबतपुर एयरपोर्ट और करखियाव एग्रो पार्क से है। जिले की कुछ विधानसभाएं ऐसी हैं जिनका इतिहास बहुत रोचक रहा है। इनमें से एक है पिंडरा जो कभी कोलअसला के नाम से जानी जाती थी। नए परिसीमन के बाद 2012 में इसका नाम पिंडरा विधानसभा हो गया। लेकिन इस कुर्मी बहुल इलाके में एक ही नाम था जिसका सूर्य नौ विधानसभा चुनावों तक दमकता रहा। वह थे सीपीआई के उदल। उदल को पहला झटका 1969 में कांग्रेस के अमर नाथ दुबे ने दिया तो 1985 के चुनाव में कांग्रेस के ही रमाकांत पटेल हराया। लेकिन विधानसभा से सीपीआई के उदल का सूर्य अस्त किया तो अजय राय ने 1996 में। विधानसभा सीट का पहला नाम था वाराणसी पश्चिम। मौजूदा पिंडरा विधानसभा का यह तीसरा नाम है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि 1952 में जब पहला चुनाव हुआ तो इस विधानसभा का नाम था वाराणसी पश्चिम। यहां से पहले विधायक बने कांग्रेस के देवमूर्ति शर्मा। हालांकि पांच साल बाद ही विधानसभा क्षेत्र का नाम कोलअसला हो गया जो 2007 तक रहा। फिर नए परिसीमन के बाद 2012 में इसका नाम पिंडरा हो गया।
कुल मतदाता : 341122
पुरुष मतदाता : 1,86,708
महिला मतदाता : 1,55,817
| जाति | मतदाता |
| पटेल | 50 हजार |
| भूमिहार | 45 हजार |
| यादव | 35 हजार |
| हरिजन | 30 हजार |
| राजभर | 25 हजार |
| ब्राह्मण | 15 हजार |
डॉ. अवधेश सिंह (भाजपा)
उम्र : 62
शिक्षा : पीएचडी
चुनावी मुद्दे पीएम का विकास और सपा का भ्रष्टाचार।
विधानसभा क्षेत्र की पहचान बाबतपुर एयरपोर्ट और करखियाव एग्रो पार्क से है।
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